तिब्बत में लोग डाकुओं से अपनी सुरक्षा के लिए क्या करते थे?
Answers
Answer:
अपनी सुरक्षा व हथियार का कानून रहने के कारण वहां लोग लाठी की तरह बंदूक व पिस्तौल रखते थे।
Explanation:
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तान्त के आधार पर उस समय का तिब्बती समाज के बारे में पता चलता है कि –
१. तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी।
२. सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था।
३. उस समय तिब्बती की औरतें परदा नहीं करती थीं।
४. उस समय तिब्बती की जमीन जागीरदारों में बँटी थी जिसका ज्यादातर हिस्सा मठों के हाथ में होता था।
Answer:
अपनी सुरक्षा व हथियार का कानून रहने के कारण वहां लोग लाठी की तरह बंदूक व पिस्तौल रखते थे।
Explanation:
तिब्बत में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब होने के कारण यात्रियों की स्थिति दयनीय थी। पिस्तौल और बन्दूक का इस्तेमाल यहाँ डाकू लोग प्रायः करते हैं क्योंकि ये आसानी से उपलब्ध हैं। यहाँ की सरकार, खुफिया-विभाग और पुलिस पर ज्यादा खर्चा नहीं करती। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण गवाह व सुरक्षा भी उपलब्ध नहीं हैं।
लेखक की यात्रा के समय तिब्बत में हथियार का कानून नहीं था, वहाँ के लोग बन्दूक, पिस्तौल को लाठी की तरह लिये फिरते थे। वहाँ पर अनेक निर्जन स्थान थे, जहाँ न पुलिस का और न खुफिया विभाग का प्रबन्ध था। यहाँ डाकू किसी को भी आसानी से मार सकते थे।
तिब्बत चीनी जनवादी गणराज्य का राष्ट्रीय स्वायत्त क्षेत्र है, और इसकी भूमि मुख्य रूप से पठारी है। इसे पारंपरिक रूप से बोड या भोट भी कहा जाता है।
तिब्बत हिमालय के उत्तरी किनारे पर, भारत के उत्तर में, नेपाल, भूटान और म्यांमार (बर्मा) में तिब्बती पठार की बंजर भूमि पर स्थित है, जो समुद्र तल से 4,000 मीटर से अधिक की औसत ऊंचाई के साथ दुनिया का सबसे ऊंचा क्षेत्र है।
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