तेजोऽसि तेजो मयि धेहि,
वीर्यमसि वीर्य मयि धेहि,
बलमसि बलं मयि धेहि
ओजोऽसि ओजो मयि धेहि।
का हिन्दी अर्थ बताइए |
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हे परमात्मा ! आप तेजरूप हैं, हमें तेज से संपन्न बनाइये । आप वीर्यवान हैं, हमें पराक्रमी साहसी बनाइये । आप बलवान हैं, हमे बलशाली बनाइये । आप ओजवान हैं, हमें ओजश्वी बनाइये । आप मन्यु रूप हैं, हमें भी अनीति का प्रतिरोध करने की क्षमता दीजिये । आप कठिनाइयों को सहन करने वाले हैं, हमें भी कठिनाइयों में अडिग रहने की, उन पर विजय पाने की शक्ति दीजिये ।
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दिए गए इस श्लोक का हिन्दी अर्थ:
"तुम प्रकाश हो, तेज स्वरूप हो, मुझेमें भी प्रकाश/तेज का धारण कराओ। तुम शक्ति-स्वरूप हो, मुझेमें भी शक्ति का धारण कराओ, तुम पराक्रम स्वरूप हो, मुझमें (भी) पराक्रम धारण कराओ। तुम बलशाली हो, मुझमें भी बल का धारण कराओ।"
Explanation:
तेजोऽसि तेजो...............मयि धेहि ।।
- शब्दार्थ- तेजोऽसि (तेज: + असि) अर्थात् कान्ति-स्वरूप , मयि अर्थात् मुझमें। धेहि अर्थात् धारण कराओ। ओजः अर्थात् प्राणबल, सामर्थ्य | वीर्यं अर्थात् पराक्रम ।
- यहाँ प्रस्तुत यजुर्वेद श्लोक, 'वन्दना' पाठ्य-पुस्तक के अन्तर्गत 'संस्कृत खण्ड' के "वैदिक वन्दना" नामक पाठ से अवतरित है।
- इस श्लोक में ईश्वर की वन्दना की गयी है।
- हिन्दी अर्थ- "हे ईश्वर!", तुम कान्ति (प्रकाश, तेज) स्वरूप हो, मुझमें भी कान्ति धारण कराओ। तुम पराक्रम स्वरूप हो, मुझमें भी पराक्रम धारण कराओ। तुम बलशाली हो, मुझमें भी बल धारण कराओ। तुम सामर्थ्यवान् /ओजस्वी हो, मुझमें भी सामर्थ्य/ओज,/प्राणबल धारण कराओ।
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