Hindi, asked by janhvitarfe2007, 5 months ago

तिल रखने की जगह नहीं है
शहर ठसाठस भरे हुए।
उधर गाँव में पीपल के हैं
सारे पत्ते झरे हुए। का art​

Answers

Answered by shishir303
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तिल रखने की जगह नहीं है

शहर ठसाठस भरे हुए।

उधर गाँव में पीपल के हैं

सारे पत्ते झरे हुए।

भावार्थ ➲ कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा रचित ‘गाँव-शहर’ नामक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवि कहना चाहते हैं कि शहर में इतनी भीड़-भाड़ है कि लोगों को रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। यानी शहर में भीड़ की इतनी भरमार है कि तिल रखने के लिए भी जगह नहीं है। लोगों के लिये छोटी सी भी जगह नहीं बची है। चारों तरफ आदमी ही आदमी दिखाई देते हैं। उधर गाँव हाल ये है कि लोगों की कमी के कारण पीपल के पत्ते झरने लगे हैं, क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नही है।

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