तान शब्द की उत्पत्ति किस धातु से हुई
है?
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स्वरों को तानने या फैलाने से ही 'तान' शब्द की उत्पत्ति हुई है।
Explanation:
- तान- स्वरों का वह समूह जिसके द्वारा राग को प्रवर्धित किया जाता है, "तन" के रूप में जाना जाता है, जैसे रेग मे, ग्रे सा या सन्निधिपा मे ग्रेस आदि। 'तन' शब्द केवल स्वरों को खींचकर या फैलाकर शुरू हुआ है।
- कई प्रकार के ताने हैं जिनका उल्लेख नीचे किया गया है। पवित्रता- एक पैमाना जिसमें स्वर क्रम समान होता है और जोर लगाना और गिरना सीधा होता है, जैसे सा रेग मे पाधि निसम, समनिधिप मे ग रेसा। इसे समतलता के रूप में भी जाना जाता है।
- कुट्टन- जिस स्वर में स्वरों में कोई क्रम या क्रम न हो, उसे कुट्टन कहा जाएगा, यह हमेशा टेढ़े-मेढ़े तरीके से चलता है, जैसे सभी ग्रे धप मप रेग मप धसन ढप आदि। मिश्रण- पवित्रता और कुट्टन जिसमें मिश्रण या एक होता है इन दोनों का मिश्रण, इसे मिष्ठान के नाम से जाना जाएगा, जैसे- पाधि पागा में रेसा में पाधी निसंग। इसमें कॉटन और प्योर टैन दोनों क्रॉस होते हैं।
- खटके की तान- स्वरों पर जोर देते हुए यदि ताना मारा जाता है तो वह खटके की तान कहलाती है। जब झटके का स्वर दोहरी गति से आ रहा हो और चौगुनी के मध्य बिंदु में शॉर्ट विस्थापित होने लगे, तो इसे झटके के स्वर के रूप में जाना जाता है।
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