History, asked by yashasvi9779, 9 months ago

तुर्क आक्रमण के समय भारत की राजनैतिक दशा कैसी थी?

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Answered by shishir303
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तुर्क आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा ना तो ज्यादा खराब थी और ना बहुत ज्यादा अच्छी थी। आठवीं शताब्दी में होने वाले आरव आक्रमणों के बाद भारत लगभग दो शताब्दियों तक मुस्लिम आक्रमणकारियों से सुरक्षित रहा था। उसके बाद 10 वीं शताब्दी के अंतिम काल में मुस्लिम आक्रमणों का सिलसिला दोबारा से शुरू हो गया। इस बार अरब आक्रमणों की जगह पर तुर्की आक्रमणकारियों ने ले ली थी। भारत पर आक्रमण करने वाला पहला आक्रमणकारी गजनी का शासक सुबुक्तगीन था। 977 ईसवी में गजनी का शासक बनने के बाद उसने अपनी महत्वाकांक्षाओं में अपने साम्राज्य का विस्तार करना आरंभ कर दिया।

उस समय भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग पर शाही वंश के जयपाल का शासन था। जयपाल ने सुबुक्तगीन के आक्रमण का कड़ा विरोध किया और एक लंबे समय तक चले कड़े संघर्ष के बाद सुबुक्तगीन ने धोखेबाज व षड्यंत्र से जयपाल को हरा दिया। इस तरह उसने पेशावर तक भारत के हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया। बाद में सुबुक्तगीन की मौत के बाद उसके पुत्र ने भारत पर अनेक आक्रमण किए। उसका पुत्र महमूद गजनी भारत पर अनेक बार आक्रमण करने के लिए जाना जाता है। जिसने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया था। कालांतर में तुर्की आक्रमणकारियों का सिलसिला चलता रहा और मुहम्मद गोरी इसी क्रम का आक्रमणकारी था जिसने पृथ्वीराज चौहान को हराया था। तुर्की आक्रमणकारियों ने भारत पर अपना शासन स्थापित करने की कोशिश नही की बल्कि वे लूट-खसोट कर चले जाते थे। मुहम्मद गोरी के उसके गुलाम कुतुबद्दीन ऐबक ने भारत में प्रथम मुस्लिम शासन स्थापित किया।

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