Hindi, asked by pournimasonawane56, 7 months ago

तेरी लहरों में अंकित है sanskrutyon का उत्तान patan

Answers

Answered by Ritikakumarimishra
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Explanation:

जब समुद्र से आता है तब बादल

और जाता है तो नदी कहलाता है।

बादल उड़ती नदी है

नदी बहता बादल है!

बादल से वर्षा होती है

वर्षा इस धरती की शालभंजिका है।

उसके पदाघात से धरती लहलहा उठती है।

और जब वर्षा नहीं होती

तब यही काम नदी करती है।

वर्षा और नदी- धरती की दो शालभंजिकाएँ।

विचार और कर्म (कल्पना और यथार्थ)

आत्मा की शालभंजिकाएँ हैं।

इनके पदाघात से

आत्मा पल्लवित-पुष्पित होती है!

बादल धरा पर उतर कर सार्थक होता है

विचार कर्म में परिणत होकर कृतार्थ होता है।

अजीब है यह पानी। इसका अपना कोई रंग नहीं, पर इन्द्रधनुष के समस्त रंगों को धारण कर सकता है। इसका अपना कोई आकार नहीं, पर असंख्य आकार ग्रहण कर सकता है। इसकी कोई आवाज नहीं, पर वाचाल हो उठता है तो इसका भयंकर निनाद दूर-दूर तक गूँज उठता है। गतिहीन है, पर गतिमान होने पर तीव्र वेग धारण करता है और उनमत्त शक्ति और अपार ऊर्जा का स्त्रोत बन जाता है। उसके शांत रुप को देखकर हम ध्यानावस्थित हो जाते है, तो उग्र रुप को देखकर भयाक्रांत। जीवनदायिनी वर्षा के रुप में वरदान बनकर आता है, तो विनाशकारी बाढ़ का रूप धारण कर जल-ताडंव भी रचता है। अजीब है यह पानी!

मीठे पानी का श्रेष्ठ और सुदीर्घ स्त्रोत है नदी। हजारों वर्षों से मनुष्य उसकी ओर खिंचता चला आया है। केवल इसलिए नहीं कि वह हमारी और हमारे खेतों की प्यास बुझाती है, बल्कि इसलिए भी कि वह हमारी आत्मा को भी तृप्त करती है। उसके तट पर हमारी आत्मा पल्लवित-पुष्पित होती है-संस्कृति का जन्म होता है। संसार की सभी प्रमुख संस्कृतियों का जन्म नदियों की कोख से हुआ है। भारतीय संस्कृति गंगा की देन है। कभी गंगा-यमुना का मैदान ही आर्यावर्त था।

वेद संभवतः संसार का प्राचीनतम ग्रंथ है। चारों वेदों में भी सबसे प्राचीन ऋग्वेद है। ऋग्वेद में एक सूक्त है जिसका नाम है, ‘विश्वामित्र नदी संवाद।’ विश्वामित्र अपने साथियों के साथ नदी को पार करना चाहते हैं, लेकिन नदी में बाढ़ आई हुई है। तब विश्वामित्र नदी से प्रार्थना करते हैं, ‘हे माँ! तू मेरे लिए रुक जा और हमें जाने के लिए रास्ता दो।’ तब नदी कहती है, ‘जिस तरह माँ अपने बच्चे के लिए झुकती है, अथवा कन्या अपने पिता की सेवा के लिए झुकती है, उसी प्रकार मैं तुम्हारे लिए झुकती हूँ।’ नदी उतर जाती है, और विश्वामित्र और उनके साथी नदी पार कर लेते हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि विश्वामित्र नदी से उसी प्रकार बात करते हैं जैसे हम किसी व्यक्ति से बात करते हैं और नदी उसका जवाब भी देती है।

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