त्याग तो वह होता ... उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।
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Answer:
हमारे जीवन के निम्नलिखित प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता -
Explanation:
त्याग का भाव ही महान होता है। सभी धर्म इसलिए त्याग के लिए प्रेरित करते हैं। त्याग क्या है? किसी की भलाई के लिए अपने स्वार्थ को छोड़कर किसी ओर को दे देना का भाव ही त्याग है। यह भावना जिस व्यक्ति के अंदर है, वह मानवता की जिंदा मिसाल है।
हमारे घर के पास एक रिटायर्ड शर्मा अंकल रहते हैं। उन्होंने अपने घर के बाहर चार बड़े मटके रखे हुए हैं। वह सुबह उठकर उन्हें साफ करते हैं और उनमें पानी भर देते हैं। उस स्थान की साफ़-सफ़ाई का वे स्वयं ध्यान रखते हैं। वहाँ पर गंदगी का नामोनिशान नहीं होता। पेड़ की छाँव में ठंडा पानी मिलना अपने में सुखद अनुभव है। पूरे दिन वहाँ से लोग आते-जाते हुए पानी पीते हैं। हमारे यहाँ सीधी पानी की सप्लाई नहीं है। हम सप्ताह में एक बार कई टैंक पानी मँगवाते हैं और उनसे हमारे यहाँ की मुख्य पानी की टंकी में पानी डाल दिया जाता है। उससे ही हमारे घरों में पानी की सप्लाई होती है। अंकल के द्वारा पानी के मटके भरकर रखने में कई लोगों को इतराज़ था। अतः अंकल ने अपने लिए एक छोटा टैंक मँगवाना आरंभ कर किया। अंकल इसके लिए अलग से पैसे स्वयं दिया करते थे। उनका परिवार इस बात से बहुत नाराज़ था। हमें बाद में पता चला कि अंकल गर्मी में स्वयं दूर-दूर का सफ़र साइकिल से सिर्फ इसलिए किया करते थे कि पानी के टैंक के पैसे खर्च न हो जाएँ। लोग गर्मी में उनके रखे मटकों से पानी पीते और धन्यवाद करते। कोई नहीं जानता था कि इसके लिए वह कितना बड़ा त्याग कर रहे हैं। एक बार हमारे यहाँ के एम.एल.ए. आए। उन्हें पानी की आवश्यकता थी कुछ संजोग ऐसा बन पड़ा कि उनकी गाड़ी वहीं रूकी। एम.एल.ए. साहब चूंकि स्वयं ग्राम भूमि से जुड़े हुए थे, तो मटके से जल पीने के लिए लालायित हो उठे। मटकों से पानी पीकर उन्होंने अपनी प्यास बुझाई। वह यह जानने के उत्सुक हो गए कि किसने इस प्रकार की व्यवस्था की हुई है। तब पता चला कि यह व्यवस्था शर्मा अंकल ने की है। जब उन्हें पता चला कि अंकल अपनी जेब से इसके इंतज़ाम के लिए पैसा खर्च करते हैं, तो उन्होंने अंकल के लिए अलग से एक पानी के टैंक की व्यवस्था करवा दी। उसका सारा खर्चा उन्होंने स्वयं वहन करना स्वीकार किया। आज उस स्थान पर अंकल के नाम से एक पक्का प्याऊ बनवाया गया है। जहाँ पर और भी मटके हैं। हमारे यहाँ के लोगों ने अपने व्यवहार के लिए अंकल से माफी माँगी। आज वह स्थान अंकल के नाम से जाना जाता है। अंकल के त्याग ने उन्हें फल के रूप में सुंदर उपहार दिया।