Hindi, asked by manjeetmonarch, 8 months ago

दो माताएं की कहानियां​

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कटनी। मां...शब्द छोटा जरूर है पर इसमें पूरा विश्व समाया है। हर एक बच्चे की पूरी दुनिया मां के आसपास ही घूमती है। बच्चों की ताकत और उसकी ऊर्जा का सबसे बड़ा माध्यम होता है। विश्व मां दिवस के अवसर पर आज हम आपको दो ऐसी मां की कहानी बता रहे हैं जो मां बेटे के रिश्ते से कहीं बढक़र हैं। इसमें एक हैं कटनी एसपी डॉ. हिमानी खन्ना, वे पांच बेटियों की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। उन्होंने बेटियों को जन्म तो नहीं दिया है, लेकिन पांचों बेटियों के लिए मां से कम भी नहीं हैं। दूसरी ने बच्चे को जन्म तो दिया, लेकिन अब तक उसके कान मां शब्द नहीं सुन पाए। बेटा १३ साल का हो गया, लेकिन वह हर पल बिस्तर पर लेटा रहता है। मां भी पिछले १३ से बेटे को सीन से लगाए इसी उम्मीद में है कि एक दिन उसका बेटा स्वस्थ जरूर होगा।

६ साल से अपनी निगरानी में रखकर करा रहीं सिविल सर्विसेज की तैयारी

जिले की पुलिस अधीक्षक डॉ. हिमानी खन्ना पिछले कई साल से पांच बेटियों को अपने पास रखकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करवा रही हैं। बेटियों के रहने खाने से लेकर सारी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति साल २०१३ में पन्ना पुलिस अधीक्षक थे। इस दौरान पन्ना के सरकारी स्कूल में पढऩे वाली अफसाना ने कक्षा १२वीं में टॉप किया। वह काफी गरीब परिवार से थी। उससे मिली तो ऐसा लगा कि वह आगे कुछ कर सकती है। उसमें आगे बढऩे का जज्बा था। अफसाना के घर जाकर परिजनों से बात की। एक माह तक परिजनों को समझाने में लग गया। इसके बाद वे मान गए। तब से अफसाना उन्हीं की निगरानी में रहती है। ग्वालियर कॉलेज में दाखिला दिलाया। विश्वविद्यालय स्तर पर उसका बेहतर परिणाम रहा। आइएएस की परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंची। इसके अलावा चार बेटियों की और परवरिश कर रही हैं। चारों बेटी उनके पास २०१७ में आई थी।

पति का सिर से उठा गया साया, बेटे को स्वस्थ कर सही जीवन देना ही मकसद

गायत्री कॉलोनी निवासी नीलम नामदेव के पति की ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी। बेटा भी पैदा होते ही सैरेवल पॉलिसी नामक गंभीर बीमारी का शिकार हो गया। दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, तमिलनाडू, इंदौर, भोपाल जैसे शहरों में जाकर इलाज करवाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। पिछले १३ साल से बेटा हर समय बिस्तर पर लेटा रहता है। उम्र के साथ शरीर के अंगों में बढ़ोत्तरी तो हो रही, लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है। मां नीलम को अब भी कुछ चमत्कार होने की उम्मीद है। इसी उम्मीद के सहारे वह अपना जीवन काट रही है।

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