-दो मित्रों के मध्य जल की कमी विषय पर संवाद लिखें।
Answers
Explanation:
सुनीता : पारुल देखो आज भी अभी तक पानी नहीं आया है ।
पारुल : हाँ मैं भी सुबह से इंतज़ार कर रही हूँ कि पानी आये तो मैं कुछ काम निपटाऊँ और दिन भर के लिए भर कर रखूँ ।
सुनीता : यहीं नहीं विश्व के कई देशों के यही हाल हैं पारुल ।
पारुल : कल ही टेलीविज़न पर दिखा रहे थे कि दुनिया कैसे पानी की एक-एक बूँद को तरस रही है । यहाँ तक की इसकी वजह से मार-काट तक हो जाती है लोगों के बीच ।
सुनीता : पानी है ही ऐसी चीज़ जिसके बिना जीवन संभव नहीं तो मार-काट तो होगी ही ।
पारुल : कुछ लोग, जिन्हें भरपूर मात्रा में पानी उपलब्ध है, वे उसे व्यर्थ ही बहाते हैं। उन्हें उसकी कीमत का जरा भी अंदाजा नहीं होता ।एक हम हैं जो नल से एक बूँद टपकती हो तो नीचे बर्तन रख देते हैं ।
सुनीता : सच कह रही हो पारुल इन्साओं की लापरवाही का ही तो ये नतीजा है । यदि हम थोड़े जागरूक हो कर टपकते पानी को बंद कर दें, टूटे पाइप की सूचना विभाग को दे दें और सोच-समझ कर पानी का प्रयोग करें तो कितने लोग जो जरूरी कामों के लिए भी पानी से वंचित रहते हैं उन्हें तरसना न पड़े ।
बढ़ती गरमी और कम होती वर्षा के बारे में दो मित्रों की बातचीत का संवाद-लेखन कीजिए।
उत्तर:
रवि – रमन, कैसे हो?
रमन – मत पूछ यार गरमी से बुरा हाल है।
रवि – गरमी इसलिए बढ़ गई है क्योंकि वर्षा भी तो नहीं हो रही है।
रमन – 24 जुलाई भी बीतने को है पर बादलों का नामोनिशान भी नहीं है।
रवि – मेरे दादा जी कह रहे थे, पहले इतनी गरमी नहीं पड़ती थी और तब वर्षा भी खूब हुआ करती थी।
रमन – ठीक कह रहे थे तुम्हारे दादा जी। तब धरती पर आबादी कम थी परंतु पेड़-पौधों की कमी न थी।
रवि – वर्षा और पेड़ पौधों का क्या संबंध?
रमन – पेड़-पौधे वर्षा लाने में बहुत सहायक हैं। जहाँ अधिक वन हैं वहाँ वर्षा भी खूब होती है। इससे गरमी अपने आप कम हो जाती है।
रवि – फिर तो हमें भी अपने आसपास खूब सारे पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
रमन – और हरे-भरे पेड़ों को कटने से बचाना भी चाहिए।
रवि – इस गरमी के बाद वर्षा ऋतु में खूब पौधे लगाएँगे।
रमन – यही ठीक रहेगा।