Hindi, asked by AtharvaKalbhor3688, 11 months ago

दीप अकेला' के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा, गर्व भरा एवं मदमाता क्यों कहा है ?

Answers

Answered by maanik8
2

इस कविता में दीप को अकेला बताया गया है। हर मनुष्य भी संसार में अकेला आता है। पंक्ति का अर्थ समाज से लिया गया है। पंक्ति में दीप को लाकर रख देना का तात्पर्य है कि उसे समाज का एक भाग बना देना। कविता में दीप एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है, जो स्नेह, गर्व तथा अहंकार से युक्त है। दीप तेल के कारण जलता है, वैसे ही मनुष्य भी स्नेह के कारण जीवित रहता है। दीप संसार को प्रकाशित करता है। उसकी लौ झुकती नहीं है, जो उसके गर्व का सूचक है। मनुष्य में अपने कार्यों के कारण गर्व विद्यमान होता है, वह कहीं झुकता नहीं है। जलते हुए दीप की लौ इधर-उधर हिलती रहती है। कवि ने इसे ही मदमाती कहा है। मनुष्य भी मस्ती में इधर-उधर मदमाता रहता है। यही कारण है कि कवि ने उसे स्नेह भरा, गर्व भरा एव मदमाता कहा है।

Answered by mamrajjaat934
0

Explanation:

please give me brainlist

Attachments:
Similar questions