दुर्गाष्टमी कब और क्यों मनाया जाता है|
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हिन्दू धर्म में बहुत सरे त्योहार मनाये जाते है|उन मेसे एक प्रमुख त्योहार है नवरात्री| भारतवर्ष में नवरात्रि का पर्व अस्वियुज मॉस में बड़ी श्रद्धा, भक्ति से मनाया जाता है| जिसे वसंत व शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।अस्वियुज पाद्यामी से लेकर दशमी तक माँ दुर्गा की उपासना की जाती है|यह त्योहार के बारेमे दो प्रकार के गाधाये प्रचार में है|एक है |महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए नौ दिनों तक माँ दुर्गा और महिषासुर का महासंग्राम चला , नै दिन के बाद महिषासुर का वध करके माँ दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कहलाईं । तभी से विजय के सुभ अवसर पर विजय दशमी ,और नवरात्री पूजा का शुभारम्भ हुआ ।
दूसरी कथा के अनुसार जब राम को युद्ध में रावण को पराजित करना था । तब श्रीराम ने नौ दिनों तक व्रत रख कर विधि के अनुसार चंडी पूजन की और युद्ध में विजय हासिल की । अधर्म पर धर्म की इस विजय के कारण लोगो ने नवरात्र का पूजन शुरू किया था ।इस तरह मानव की मन की बुराई पर जीत केलिए सब लोग नवरात्री का व्रत रखते है|
आदिशक्ति जगदंबा की परम कृपा प्राप्त करने हेतु नवरात्रि में दुर्गाष्टमी व महानवमी पूजन का बड़ा ही महत्व है। इस अष्टमी व नवमी की व्रत श्रद्धालु भक्तजनों को मनोवांछित फल देति है| मां दुर्गा की आराधना से व्यक्ति एक नियमित जीवन के अनेक शुभ लक्षणों- धन, ऐश्वर्य, एकाग्रता,ढृढ़ विशवास, स्वास्थ्य से युक्त हो जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को भी सहज ही प्राप्त कर लेता है।इस पूजा में पवित्रता, तथा ब्रह्मचर्य का विशेष महत्व है। पूजा के समय घर व देवालय को तोरण व विविध प्रकार के पत्र, पुष्पों से सजाना चाहिए तथा स्थापित समस्त देवी-देवताओं का आह्वान उनके 'नाम मंत्रों' द्वारा कर षोडषोपचार पूजा करनी चाहिए, जो विशेषफल देती है। देवी भागवतम में महानवमी व दुर्गाष्टमी पूजन के विषय में पूरी जानकारी मिलती है|जिसमें नवमी व दुर्गाष्टमी पूजन का स्पष्ट उल्लेख है।
नवरात्री व्रत के दौरान क्या करना चाहिए : लाल रंग माँ को सर्वोपरी है ।इस को हम सभ जान ते है| इसलिए माँ को प्रश्सन करने के लिए लाल रंग के वस्तुओ का उपयोग करे जैसे की माँ का वस्त्र,आसन ,फूल इत्यादि|इस नै दिन चप्पल नहीं पहन न चाहिए|सोने केलिए पलंग या बिस्तर का उपयोग नहीं करना चाहिए|रसोई में लसून या प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए|सुबह और शाम दीपक प्रज्जवलित करें आरती और भजन करे । संभव हो तो वहीं बैठकर माँ का पाठ , सप्तसती और दुर्गा चालीसा पढ़ेनवरात्री में ब्रह्मचर्य का पालन करे|सामान्य नमक की जगह सेंधा नमक उपयोग में लायेदिन में कतई न सोये| साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखे|नवरात्र के अन्तिम दिन कुवारी कन्याओ को घर बुलाकर भोजन अवश्य कराए। नव कन्याओं को नव दुर्गा रूप मान कर पुजन करे| विशेष रूप से दरिद्रों को अन्नदान करना चाहिए|सुमंगली पूजन भी करना चाहिए|नवरात्री के दिनों मे हर एक व्यक्ति खासकर व्रतधारी को क्रोध, मोह, लोभ आदि दुष्प्रवृत्तियों का त्याग करना चाहिए।
दाढ़ी-मूंछ, बाल और नहीं कटवाने चाहिए|अखंड ज्योति जलाना चाहिए|काला रंग का कपड़ा वर्जित करे क्योंकि यह रंग शुभ नहीं माना जाता है|मॉस, मछली , उत्त्जेक पदार्थ जैसे शराब ,गुटखा और सिगरेट का सेवन छोड़ देना चाहिए|किसी का दिल दुखाना , झूट बोलना भी छोड़ देना चाहिए| विशेष टार दुर्गाष्टमी के दिन आयुध पूजा करते है|इस तरह श्रधा ,भक्ति के साथ नवरात्री को मनाना चाहिए|