ठोस, द्रव और गैस माध्यम में ध्वनि किस प्रकार संचरित होती है ? समझाइए।
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ठोस में ध्वनि का संचरण — किसी ठोस वस्तु में ध्वनि का संचरण उसमें उत्पन्न हुए कंपनों के माध्यम से होता है। जब किसी ठोस वस्तु के एक सिरे पर कंपन उत्पन्न होते हैं तो वह ठोस वस्तु के कणों के माध्यम से आगे बढ़ते हुए दूसरे सिरे तक पहुंचते हैं और ध्वनि उत्पन्न करते हैं। यही कारण है कि रेलगाड़ी के बहुत दूर आगे निकल जाने पर भी पटरी से यदि कान लगाएं तो उसके चलने की ध्वनि सुनाई देती है। किसी ठोस वस्तु में ध्वनि की चाल सबसे ज्यादा होती है।
द्रव में ध्वनि का संचरण — किसी द्रव में भी ध्वनि का संचरण उस द्रव में उत्पन्न कंपन के माध्यम से ही होता है। यदि हम किसी तालाब या पानी के स्रोत में पत्थर डालते हैं तो पत्थर की गिरने की छपाक की ध्वनि सुनाई देती है, क्योंकि जब हम द्रव में पत्थर डालते हैं तो उस द्रव उसमें कंपन उत्पन्न होते हैं जो उस द्रव में चारों तरफ फैल जाते हैं और एक ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
गैस (वायु) में ध्वनि का संचरण — वायु में ध्वनि का संचरण कंपन के माध्यम से ही होता है। जब वायु में कोई वस्तु कंपन करती है तो वायु में उपस्थित आसपास के कण भी कंपन करने लगते हैं। धीरे-धीरे यह कंपन वायु में उपस्थित कणों के माध्यम से आगे बढ़ते जाते हैं। इस तरह यह कंपन आगे बढ़ते-बढ़ते हमारे कानों तक पहुंचते हैं और हमें ध्वनि सुनाई पड़ती हैं। वायु में ध्वनि की चाल सबसे कम होती है।