Hindi, asked by Karan35791, 9 months ago

देश में कोविड 19 का हमारे देश में क्या प्रभाव पड़ा

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Answered by gnpandey
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कोरोना वायरस ने न केवल भारत की बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत खराब कर रखी है. विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण भारत की इकोनॉमी पर बड़ा असर पड़ने वाला है. कोरोना के भारत की आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी.

वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर मात्र 5% रह जाएगी, तो वहीं 2020-21 में तुलनात्मक आधार पर अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में भारी गिरावट आएगी जो घटकर मात्र 2.8% रह जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महामारी ऐसे वक्त में आई है जबकि वित्तीय क्षेत्र पर दबाव के कारण पहले से ही भारतीय इकोनॉमी सुस्ती की मार झेल रही थी. कोरोना वायरस के कारण इसपर और दवाब बढ़ा है.

दरअसल कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन है. सभी फैक्ट्री, ऑफिस, मॉल्स, व्यवसाय आदि सब बंद है. घरेलू आपूर्ति और मांग प्रभावित होने के चलते आर्थिक वृद्धि दर प्रभावित हुई है. वहीं जोखिम बढ़ने से घरेलू निवेश में सुधार में भी देरी होने की संभावना दिख रही है. ऐसे में अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर में पहुंच सकती है. रिपोर्ट में सरकार को वित्तीय और मौद्रिक नीति के समर्थन की जरूरत पर जोर देने की सलाह दी गई है. चुनौती से निपटने के लिए भारत को इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए जल्द से जल्द ज्यादा प्रभावी कदम उठाना होगा. साथ ही स्थानीय स्तर पर अस्थायी रोज़गार सृजन कार्यक्रमों पर भी ध्यान देना होगा. विश्व बैंक ने आगाह किया है कि इस महामारी की वजह से भारत ही नहीं बल्कि समूचा दक्षिण एशिया गरीबी उन्मूलन से मिलें फायदे को गँवा सकता है. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइज़ेशन ने कहा था कि कोरोना वायरस सिर्फ़ एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं रहा, बल्कि ये एक बड़ा लेबर मार्केट और आर्थिक संकट भी बन गया है जो लोगों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा.

भारत को भी चाहिए कि आर्थिकी को संभालने के लिए भारत मे भी प्रतिभाशाली अर्थशास्त्रियों की एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें प्रोफेशनल हों और वे भारतीय चुनौतियों के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए चरणबद्ध तरीके से नीतिगत समाधान सरकार के सामने रखें

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था आईएमएफ ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स का उद्देश्य है कि बिगड़ती हुयी अर्थ व्यवस्था को कैसे पटरी पर लाया जाए. इस टास्क फोर्स में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी हैं. रघुनाथ राजन पहले भी आईएमएफ के साथ रह चुके हैं औऱ वे एक काबिल अर्थ विशेषज्ञ है.भारत को भी चाहिए कि आर्थिकी को संभालने के लिए भारत मे भी प्रतिभाशाली अर्थशास्त्रियों की एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें प्रोफेशनल हों और वे भारतीय चुनौतियों के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए चरणबद्ध तरीके से नीतिगत समाधान सरकार के सामने रखें. पिछले साल के ही आर्थिकी सूचकांक को देखें तो ऑटोमोबाइल सेक्टर, रियल स्टेट, लघु उद्योग समेत तमाम असंगठित क्षेत्र में सुस्ती छाई हुई थी.

भारत में भविष्य निधि पीएफ का संग्रह करीब 11 लाख करोड़ रुपये का है, इससे एडवांस लेने की छूट और छोटी कंपनियों में नियोक्ताओं के अंशदान को तीन माह के टालने के लिए इस निधि का भरपूर इस्तेमाल होगा. सरकार के मुकाबले रिजर्व बैंक ने ज्यादा हिम्मत दिखाई है

“हमारे देश में छोटे-छोटे कारखाने और लघु उद्योगों की बहुत बड़ी संख्या है. उन्हें नगदी की समस्या हो जाएगी क्योंकि उनकी कमाई नहींहोगी. ये लोग बैंक के पास भी नहीं जा पाते हैं इसलिए ऊंचे ब्याज़ पर क़र्ज़ ले लेते हैं और फिर क़र्ज़जाल में फंस जाते हैं.”

अनौपचारिक क्षेत्रों में फेरी वाले, विक्रेता, कलाकार, लघु उद्योग और सीमापार व्यापार शामिल हैं. इस वर्ग से सरकार के पास टैक्स नहीं आता, लॉकडाउन और कोरोना वायरस के इस पूरे दौर में सबसे ज़्यादा असर एविएशन, पर्यटन, होटल सेक्टर पर पड़ने वाला है. यह स्थिति सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है अचानक ही उसके सामने एक विशाल समस्या आ खड़ी हुई है. 2008 के दौर में कुछ कंपनियों को आर्थिक मदद देकर संभाला गया. लेकिन,आज अगर सरकार ऋण दे तो उसे सभी को देना पड़ेगा. हर सेक्टर में उत्पादन और ख़रीदारी प्रभावित हुई है,कोरोना वायरस का असर पूरे दुनिया पर पड़ा है. चीन और अमरीका जैसे बड़े देश और मज़बूत अर्थव्यवस्थाएं इसके सामने लाचार हो गए हैं. इससे भारत में विदेशी निवेश के ज़रिए अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने की कोशिशों को भी धक्का पहुंचेगा. विदेशी कंपनियों के पास भी पैसा नहीं होगा तो वो निवेश में रूचि नहीं दिखाएंगी, हालांकि, जानकारों का कहना है कि अर्थव्यवस्था पर इन स्थितियों का कितना गहरा असर पड़ेगा ये दो बातों पर निर्भर करेगा. एक तो ये कि आने वाले वक़्त में कोरोना वायरस की समस्या भारत में कितनी गंभीर होती है और दूसरा कि कब तक इस पर काबू पाया जाता है.

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