Hindi, asked by shivanianuragkrishna, 1 month ago

दिये गये शीर्षकों पर 100-120 शब्दों में लघुकथा लिखिए!
1. परोपकार​

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Answered by sorrySoSORRY
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Answer:

किसी व्यक्ति की सेवा या उसे किसी भी प्रकार के मदद पहुंचाने की क्रिया को परोपकार कहते हैं। यह गर्मी के मौसम में राहगीरों को मुफ्त्त में ठंडा पानी पिलाना भी हो सकता है या किसी गरीब की बेटी के विवाह में अपना योगान देना भी हो सकता है। कुल मिला के हम यह कह सकते हैं की किसी की मदद करना और उस मदद के एवज़ में किसी चीज की मांग न करने को परोपकार कहते हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो दूसरों की मदद करते हैं और कहीं न कहीं भारत में ये बहुत ज्यादा है।

कहते हैं की मनुष्य जीवन हमे इस लिये मिलता है ताकि हम दूसरों की मदद कर सकें। हमारा जन्म सार्थक तभी कहलाता है जब हम अपने बुद्धि, विवेक, कमाई या बल की सहायता से दूसरों की मदद करें। जरुरी नहीं की जिसके पास पैसे हो या जो अमीर हो वही केवल दान दे सकता है। एक साधारण व्यक्ति भी किसी की मदद अपने बुद्धि के बल पर कर सकता है। सब समय-समय की बात है, की कब किसकी जरुरत पड़ जाये। अर्थात जब कोई जरुरत मंद हमारे सामने हो तो हमसे जो भी बन पाए हम उसके लिये करें। यह एक जरूरतमंद जानवर भी हो सकता है और मनुष्य भी|

Answered by xXItzzYourLoverXx
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राजपुर नगर में दो व्यक्ति शामू और झामु रहते थे. दोनों ही थोड़े आलसी थे और भाग्य पर विश्वास करते थे. शामू कहता – यदि राजा विक्रम सिंह मुझे कुछ देता है तो गुजारा हो जाता है अन्यथा मेरे पास कुछ भी नहीं है. झामु कहता – भगवान भोलेनाथ मुझे कुछ देते हैं तो मेरा गुजारा हो जाता है नहीं तो मेरे पास तो कुछ भी नहीं.

एक दिन राजा ने दोनों को बुलाया और यह बातें उनके मुंह से सुनी.

राजा विक्रम सिंह ने एक गोल कद्दू मंगाया और उसके बीज निकाल कर शामू को दे दिया जिसका मानना था कि राजा ही उसे जो कुछ देता है उसी से उसका गुजारा होता है. राजा को भी लगने लगा कि सच में वही दाता है.

शामू उस कद्दू को पाकर बड़ा खुश हुआ और बाजार में जाकर उसे चार पैसे में बेच आया. थोड़ी देर बाद उधर से झामु गुजरा जो सोचता था कि भगवान् शिव ही उसे जो कुछ देते हैं उसी से उसका गुजारा होता है. झामु ने वह कद्दू छह पैसे में खरीद ली.

कद्दू लाकर जब उसे सब्जी बनाने के लिए काटा तो पैसों की बारिश होने लगी. उसे बड़ा आश्चर्य हुआ. बात राजा तक पहुंची. राजा का घमंड टूट चुका था. सारी बातें जानने के बाद उसने कहा – भगवान् ही असली दाता हैं. उनसे बड़ा कोई नहीं. उसे इसका बोध हो चुका था.

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