दक्षिण एशिया के देश एक- दूसरे पर अविश्वास करते हैं I इसेसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता I इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाए I
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"दक्षिण एशिया के देशों में जहां सदभाव और शत्रुता, आशा और निराशा तथा विश्वास और आपसी सहयोग देखने को मिलता है वहीं कई बार एक दूसरे को लेकर अविश्वास भी नजर आता है| इस
क्षेत्र के देशों के बीच सीमा और नदी जल के अतिरिक्त विद्रोह, जातीय संघर्ष, संसाधनों के बंटवारे, आतंकवाद को लेकर असामंजस्य सहित कई अन्य मसले हैं |
इस कथन की पुष्टि इससे होती है कि अनेक संघर्षों और आपसी अविश्वास की वजह से 1985 में शुरू किया गया दक्षेश ""साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन"" (सार्क) ज्यादा सफल नहीं हो पाया, इस समझौते के तहत इन देशों के बीच आपसीइसके अलावा ""दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार"" क्षेत्र समझौते (SAFTA ) पर 2004 में हस्ताक्षर किए गए व्यापार मैं लगने वाला सीमा शुल्क कम किया गया परंतु कुछ देश मानते हैं कि साफ्टा की आड़ लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और व्यावसायिक मौजूदगी के जरिए उनके समाज वह राजनीति पर असर डालना चाहता है |
बहरहाल दक्षिण एशिया को वैश्विक मंच पर अपनी मजबूती दर्शाने के लिए सारे आंतरिक सीमा विवादों और मसलों से ऊपर उठकर अपने सांस्कृतिक गुण-धर्मों और व्यापारिक हितों के लिए एकजुटता दिखानी चाहिए और आपसी विश्वास बहाली के प्रयास करने चाहिए |"
Answer:
इस क्षेत्र के देशों के बीच सीमा और नदी जल के अतिरिक्त विद्रोह, जातीय संघर्ष, संसाधनों के बंटवारे, आतंकवाद को लेकर असामंजस्य सहित कई अन्य मसले हैं |
इस कथन की पुष्टि इससे होती है कि अनेक संघर्षों और आपसी अविश्वास की वजह से 1985 में शुरू किया गया दक्षेश ""साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन"" (सार्क) ज्यादा सफल नहीं हो पाया, इस समझौते के तहत इन देशों के बीच आपसीइसके अलावा ""दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार"" क्षेत्र समझौते (SAFTA ) पर 2004 में हस्ताक्षर किए गए व्यापार मैं लगने वाला सीमा शुल्क कम किया गया परंतु कुछ देश मानते हैं कि साफ्टा की आड़ लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और व्यावसायिक मौजूदगी के जरिए उनके समाज वह राजनीति पर असर डालना चाहता है |