दशमः पाठः
कृषिका: कर्मवीराः
सूर्यस्तपतु मेघा: वा वर्षन्तु विपुल जलम्।
कृषिका कृषिको नित्यं शीतकालेऽपि कर्मठौ ।।।।।
ग्रीष्म शरीर सस्वेदं शीत कम्पमय सदा।
हलेन च कुदालेन तौ तु क्षेत्राणि कर्पतः ।।2।।
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प्रसंग -> प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृत की पाठ्य पुस्तक रुचिरा भाग 1 के अंतर्गत कृषिका: कर्मवीरा: नामक पाठ से लिया गया है इसमें कवि ने किसान पति-पत्नी का वर्णन किया है।
व्याख्या 1. चाहे सूर्य अत्यधिक गर्मी बरसाए या बादल अत्यधिक जल बरसाए। ठंड में भी किसान पति पत्नी कृषि कार्यों में क्रियाशील रहते हैं।
2. गर्मी में शरीर पसीने से युक्त होते हैं और सर्दियों में हमेशा कंपन होती है। फिर भी वे दोनों हल और कुदाल से खेत जोतते हैं।
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Explanation:
कृषिका कृषिको नित्यं शीतकालेऽपि कर्मठौ ।।।।। this is the correct answer of the question
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