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ईश! हमें दो यह वरदान,
पढ़े-लिखें हम बने महान्।
सबसे हिल-मिल रहना सीखें,
दुःख-दर्दो को सहना सीखें,
कष्ट पड़े चाहे कितने ही,
पर अधरों पर हो मुसकान।1।
सच्चे पथ पर सदा बढ़ें हम,
सच्चे प्रण पर सदा अड़ें हम,
झुके शीश अपना न कभी यह,
चाहे टूट गिरे चट्टान।2।
सूरज बन संसार जगावें,
अंधकार को दूर भगावें,
करें निछावर मातृ-भूमि पर,
हम अपने तन-मन-धन-प्राण।3।
(दा० प्रमाहेश्वरी
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Please meri help kar dijiye... please
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thanks bro
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