Thenjing sherpa ki pahali chadayi ki bare main jankari prapt kijiye
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दुनिया की सबसे उची चोटी माउंट एवेरेस्ट पर सबसे पहले चढने वाले दो व्यक्तियों में से एक है | उनके साथ साथ एडमंड हिलेरी को भी इस ख़िताब से नवाजा जाता है | विश्व इतिहास में इन दोनों का नाम कभी नही भुलाया जा सकता है |
तेनजिंग नोर्गे का जन्म एक बहुत गरीब शेरपा परिवार में हुआ था इस कारण उनको अपने जन्म की तारीख पता नही थी क्योंकि उस समय में जन्म तारीख याद रखना कोई मायने नही रखता था | फिर भी जब तेनजिंग नोर्गे ने एवरेस्ट पर जिस दिन कदम रखा था उसी को अपनी जन्म तारीख घोषित कर दिया वो तारीख थी 19 मई 1914 | उनका जन्म नेपाल के खुम्भु इलाके में हुआ था जो नेपालियों और तिब्बतियों दोनों की मातृभूमि कहलाता था | शेरपाओ का मुख्य धर्म नेपाली बौद्ध होता है |
नोर्गे का बचपन में वास्तविक नाम नामग्याल वांगदी था लेकिन बाद में लामा भिक्षुओ के कहने पे उनको तेनसिंह नोर्गे नाम दिया गया | उनके पिता का नाम घंग ला मिंगमा और माता का नाम डोकमो किन्ज्म था | तेनजिंग अपने 13 भाई बहनों में 11वे स्थान पर थे जिसमे से उनके अधिकतर भाई बहन बचपन में ही गुजर गये थे | उनके पिता याक से सामान एक जगह से दुसरी जगह ले जाकर अपना जीवन यापन करते थे | इतने बड़े परिवार को पालना तेनजिंग के पिता के लिए बड़ा कठिन था जिसके कारण बड़ी मुशिकल से उन्हें दो वक़्त की रोटी मिल पाती थी |
तेनजिंग अपने बचपन में दो बार घर से भाग गया था | पहली बार भागकर काठमांडू चला गया था और दुसरी बार भारत के दार्जिलिंग चला गया था | उसे बचपन से ही पहाड़ चढने का बड़ा शौक था इसलिए वो काठमांडू में हिमालय पर्वत को घंटो तक देखा करता था | जब उन्हें महंत बनने के लिए मठ में भेजा गया तब वो वहा से भाग गया क्योंकि उसे पता था कि वो मठ के लिए नही बना था | 19 साल की उम्र में वो दार्जीलिंग की शेरपा समुदाय के साथ बस गया
तेनजिंग नोर्गे का जन्म एक बहुत गरीब शेरपा परिवार में हुआ था इस कारण उनको अपने जन्म की तारीख पता नही थी क्योंकि उस समय में जन्म तारीख याद रखना कोई मायने नही रखता था | फिर भी जब तेनजिंग नोर्गे ने एवरेस्ट पर जिस दिन कदम रखा था उसी को अपनी जन्म तारीख घोषित कर दिया वो तारीख थी 19 मई 1914 | उनका जन्म नेपाल के खुम्भु इलाके में हुआ था जो नेपालियों और तिब्बतियों दोनों की मातृभूमि कहलाता था | शेरपाओ का मुख्य धर्म नेपाली बौद्ध होता है |
नोर्गे का बचपन में वास्तविक नाम नामग्याल वांगदी था लेकिन बाद में लामा भिक्षुओ के कहने पे उनको तेनसिंह नोर्गे नाम दिया गया | उनके पिता का नाम घंग ला मिंगमा और माता का नाम डोकमो किन्ज्म था | तेनजिंग अपने 13 भाई बहनों में 11वे स्थान पर थे जिसमे से उनके अधिकतर भाई बहन बचपन में ही गुजर गये थे | उनके पिता याक से सामान एक जगह से दुसरी जगह ले जाकर अपना जीवन यापन करते थे | इतने बड़े परिवार को पालना तेनजिंग के पिता के लिए बड़ा कठिन था जिसके कारण बड़ी मुशिकल से उन्हें दो वक़्त की रोटी मिल पाती थी |
तेनजिंग अपने बचपन में दो बार घर से भाग गया था | पहली बार भागकर काठमांडू चला गया था और दुसरी बार भारत के दार्जिलिंग चला गया था | उसे बचपन से ही पहाड़ चढने का बड़ा शौक था इसलिए वो काठमांडू में हिमालय पर्वत को घंटो तक देखा करता था | जब उन्हें महंत बनने के लिए मठ में भेजा गया तब वो वहा से भाग गया क्योंकि उसे पता था कि वो मठ के लिए नही बना था | 19 साल की उम्र में वो दार्जीलिंग की शेरपा समुदाय के साथ बस गया
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