धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला।
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धर्म ने धन को कुचल डाला । यह कथन 'नमक का दरोगा ' कहानी के संदर्भ में है।
• वंशीधर दरोगा एक ईमानदार दरोगा था जिसके मार्ग में बहुत कठिनाइयां आयी परन्तु वह अपनी ईमानदारी पर डटा रहा।
• पंडित अलोपीदीन ने उस खरीदने की कोशिश की परंतु असफल रहा।
• दरोगा की ईमानदारी के आगे पंडित को झुकना ही पड़ा।।
• पंडित को अपनी गलती का अहस हुआ तथा उसे अपनी पूरी जायदाद का मैनेजर बना दिया।
• इस प्रकार धर्म के आगे धन की हार हुई, ऐसा कहा गया है।
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धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला true or false
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