Hindi, asked by vihu52, 1 year ago

Tulsidas ke Dohe in Hindi​

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Answered by kritiku2005
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Answer:

“दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण।”

अर्थ:तुलसीदास जी ने कहा की धर्म, दया भावना से उत्पन्न होती और अभिमान तो केवल पाप को ही जन्म देता हैं, मनुष्य के शरीर में जब तक प्राण हैं तब तक दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए।

“सरनागत कहूँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि, ते नर पावॅर पापमय तिन्हहि बिलोकति हानि।”

अर्थ: जो इन्सान अपने अहित का अनुमान करके शरण में आये हुए का त्याग कर देते हैं वे क्षुद्र और पापमय होते हैं। दरअसल, उनको देखना भी उचित नहीं होता।

“तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ और, बसीकरण इक मंत्र हैं परिहरु बचन कठोर.”

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि मीठे वचन सब और सुख फैलाते हैं, किसी को भी वश में करने का ये एक मंत्र होते हैं इसलिए मानव ने कठोर वचन छोड़कर मीठे बोलने का प्रयास करे।

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Answered by prskoranga
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Answer:

1. राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार |

तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर ||

2. तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर |

सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||

3. तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान|

भीलां लूटी गोपियाँ, वही अर्जुन वही बाण||

4. तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर |

बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ||

5. काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान|

तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान||

6. लसी पावस के समय, धरी कोकिलन मौन|

अब तो दादुर बोलिहं, हमें पूछिह कौन||

7. सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु |

बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ||

8. तुलसी इस संसार में, भांति भांति के लोग|

सबसे हस मिल बोलिए, नदी नाव संजोग||

9. तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए|

अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए||

10.आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह|

तुलसी तहां न जाइये कंचन बरसे मेह||

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