Uch Shiksha ka mahatv a par 300 shabdo mein sampadkiya
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अशिक्षा' समाज और देश पर सबसे बड़ा कलंक है। अशिक्षा देश के विकास और स्वयं के विकास में सबसे बड़ी बाधा है। एक देश का कल्याण तभी संभव हो सकता है, जब तक की प्रत्येक देशवासी शिक्षित न हो। शिक्षा किसी एक वर्ग या पीढ़ी के लिए नहीं है बल्कि यह सबके लिए है। सामाजिक बदलाव के लिए देश के प्रत्येक व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक है। परन्तु कई बार प्रश्न उठता है कि शिक्षित होना क्यों आवश्यक है? इसका उत्तर यह है- शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है। शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य का संसार से परिचय होता है। हमारे देश की अधिकतर समस्याओं का मूल अशिक्षा का होना है। अशिक्षा व्यक्ति की विचारधारा को रोक देती है। वह स्वयं को अंधविश्वासों और रूढियों में घिरा हुआ पाता है। यदि वह शिक्षित है, तो उसकी सोच विकसित होती है। अंधविश्वासों और रूढियों रूपी पट्टियाँ आँखों के समाने से हट जाती है। यहीं से सामाजिक बदलाव आरंभ होता है। जहाँ समाज बदलने लगता है, वहीं देश का विकास भी आरंभ हो जाता है। स्वतंत्रता से पूर्व हमारे देश में एक बहुत बड़ी आबादी थी, जो शिक्षित नहीं थी। अंग्रेज़ों के लिए यह लाभकारी स्थिति थी। भारत को लंबे अरसे तक गुलाम बने रहने का कुछ हद तक कारण भी यही था। अशिक्षा इसका मूल थी। आगे चलकर देश के नेताओं को यह बात समझ में आ चुकी थी। उन्होंने इसी ओर कदम उठाया। उन्होंने देश में शिक्षित को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। उस समय निरक्षर स्त्रियों की संख्या पुरूषों से अधिक थी। स्त्री शिक्षा पर भी विशेष रूप से ज़ोर दिया जाने गया। नेताओं द्वारा चलाए गए आंदोलन चारों ओर फैलते गए। जनता इस तथ्य से अवगत हो गई कि अशिक्षा उनकी सभी परेशानियों का मूल है। अशिक्षित मनुष्य सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक बदलावों को समझने में असमर्थ होता है। यही शिक्षा का उद्देश्य अभिलक्षित हुआ। आज़ादी से पहले जब नेताओं ने शिक्षा पर ज़ोर दिया, तब जाकर देश की जनता जागृत होने लगी। उन्हें समझ में आया गुलामी उनके अस्तित्व को खोखला बना रही है। इसका परिणाम यह हुआ कि देश आज़ाद हो गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे बड़े नेताओं ने शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण कदम उठाए। परन्तु आज भी देश के कई हिस्से हैं, जिनमें साक्षरता की दर अधिक नहीं है। यही बात हमारे लिए खेद का विषय है। जनता जितनी अधिक निरक्षर होगी, वे अपने देश का शासन चलाने के लिए सही व्यक्ति का चुनाव नहीं कर पाएगी। यदि देश का मुख्य प्रतिनिधि ही अयोग्य हुआ, तो वह देश को कैसे संभालेगा। हमें इस बात का भली प्रकार से ज्ञान हो जाना चाहिए कि अशिक्षा वह गहरी खाई है, जो देश के विकास को रोके हुए है। यदि हम चाहते हैं कि हमारा और देश का विकास हो, तो हमें शिक्षा को अपना होगा और अशिक्षा की जड़ों को उखाड़ फेंकना होगा।
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