उपकला ऊतक की प्रमुख विशेषताएं लिखिए।
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hii
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=> इनका मूल कार्य शरीर एवं आन्तरांगों के लिए सुरक्षात्मक आवरणों के रूप में होता है। ये भीतर स्थिर ऊतकों की कोशाओं को चोट से, हानिकारक पदार्थों तथा जीवाणुओं आदि के दुष्प्रभाव से और सूख जाने से बचाती है।
=> शरीर एवं आन्तरांगों का अपने-अपने बाहरी वातावरण से पदार्थों का सारा लेन-देन इनके उपकला आवरणों के ही आर-पार होता है। अतः ये आवरण चयनात्मक (selective) होते हैं, आवश्यक पदार्थ ही इनके आर-पार आ-जा सकते हैं, अनावश्यक पदार्थ नहीं।
=> आहारनाल की दीवार की भीतरी सतह पर ये पोषक पदार्थों एवं जल के अवशोषण (absorption) का, श्वसनांगों में गैसीय विनिमय (gaseous exchange) का और उत्सर्जन अंगों में उत्सर्जन का कार्य करते हैं।
=> त्वचा पर संवेदांगों में संवेदना ग्रहण (Sensory reception) का कार्य करती है।
=> कई नालवत् अंगों (श्वास नालों, जनन वाहिनियों, मूल वाहिनियों आदि) में ये श्लेष्म (mucus) या अन्य तरल पदार्थों के संवहन में सहायता करती है।
=> इनमें पुनरुदभवन (regeneration) की बहुत क्षमता होती है। अतः क्षत ऊतकों पर शीघ्रगतापूर्वक पुनरुत्पादित होकर ये घावों के भरने में सहायता करती हैं।
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