उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकार में अन्तर बताइए ।
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उपमा और उत्प्रेक्षा अलंकार
अलंकार परिभाषा :-
काव्यों की सुंदरता बढ़ाने वाले यंत्रों को ही अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार मनुष्य अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए विभिन्न आभूषणों का प्रयोग करते हैं उसी तरह काव्यों की सुंदरता बढ़ाने के लिए अलंकारों का उपयोग किया जाता है। अलन अर्थात भूषण |
उपमा अलंकार :-
जिस जगह दो वस्तुओं में अन्तर रहते हुए भी आकृति एवं गुण की समानता दिखाई जाए उसे उपमा अलंकार कहा जाता है।
उपमा अलंकार का उदाहरण :-
सागर-सा गंभीर हृदय हो,
गिरी- सा ऊँचा हो जिसका मन।
इसमें सागर तथा गिरी उपमान, मन और हृदय उपमेय सा वाचक, गंभीर एवं ऊँचा साधारण धर्म है।
उत्प्रेक्षा अलंकार
परिभाषा- जहाँ उपमेय और उपमान के भिन्न होते हुए भी उनमें समानता की सम्भावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसमें न तुलना होती है, न अभेद आरोप, बल्कि कहा जाता है कि ऐसा मान लो या कल्पना कर लो। इसमें मनो, मानो, मन्, जानो, जनहूँ, मनहूँ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण :-
उसका मारे क्रोध के तन काँपने लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
उपर्युक्त पंक्तियों में क्रोध से काँपते शरीर को तूफानी समुद्र मान लेने की बात की गई है। अस्तु, यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।