उत्तर भारत के प्रदेशों - राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के अधिकांश लोग हिंदी बोलते हैं। यदि इन सभी प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाय तो क्या ऐसा करना संघवाद के विचार से संगत होगा? तर्क दीजिए।
Answers
ऐसा करना संघवाद के विचार से संगत नहीं होगा क्योंकि अगर इतने बड़े राज्यों को एकसाथ जोड़कर एक राज्य बना देने से सरकार पर अतिरिक्त कार्यभार बढ़ेगा।
संघवाद का उद्देश्य ही होता है की देश को छोटी इकाइयों में बांटना ताकी सरकार पर कार्यभार अधिक ना हो और राज्य के कार्य आराम से बिना किसी बाधा के पूरे किए जा सकें। परंतु अगर इन छोटी इकाइयों को ही बड़ा कर दिया जाए तो संघवाद का असली मतलब ही खत्म हो जाता है।
Answer:
यदि उत्तर भारत के प्रदेशों - राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाय तो ऐसा करना संघवाद के विचार से संगत नहीं होगा।
Explanation:
यदि सभी हिंदी बोलने वाले प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाए तो यह संघवाद के सिद्धांत से मेल नहीं खाता। संघवाद का अर्थ यह नहीं है कि सभी हिंदी बोलने वाले प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाए । बहुत बड़ा राज्य प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टि से उचित नहीं होगा। एक विशाल राज्य बनने से लोगों को स्वशासन के अवसर कम प्राप्त होंगे। लोगों की सत्ता में सहभागिता कम होगी क्योंकि शक्तियों का केंद्र राज्य सरकार होगी । लोगों के विकास तथा सभी क्षेत्रों के विकास के लिए छोटे राज्य होने चाहिए न की बड़े राज्य।
उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है कई राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग करते हैं, इसलिए 2000 में उत्तर प्रदेश में से उत्तराखंड राज्य बनाया गया। प्रशासनिक व्यवस्था के आधार पर छोटे राज्य उचित होते हैं। अतः केवल हिंदी भाषा को आधार बनाकर 4 राज्यों का एक राज्य बनाना संघवाद के सिद्धांत के विरुद्ध है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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