(v) गुणाः निर्गुणं प्राप्य के भवन्ति?
(क) सगुणाः
(ख) दोषा:
(ग) निर्गुणाः
(घ) निर्दोषा:
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ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः । समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।। इसका अर्थ है कि अच्छे व्यक्ति उस नदी के समान हैं, जो नदी पर्वतों से निकलती है, जिसका जल स्वादिष्ट होता है, जिसे सभी पसन्द करते हैं; परन्तु जब वही नदी समुद्र में जाकर मिल जाती है, तो उसका जल खारा हो जाता है, फ़िर उसके जल को कोई पसन्द नहीं करता।
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गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः ।
सुस्वदुतोयाः प्रवहन्ति नद्यः
समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।।
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