Political Science, asked by parkashmal8770, 1 year ago

विभिन्न देशों के सामने सबसे गंभीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को आगे कोई नुकसान पहुंचाए बगैर आर्थिक विकास करने की है I यह कैसे हो सकता है? कुछ उदाहरणों के साथ समझाएं I

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Answered by tr467
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आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण पर ध्यान देना भी जरूरी

आर्थिक विकास के साथ पर्यावरण पर ध्यान देना भी जरूरी

बाल मुकुन्द ओझा | Dec 24 2016 2:25PM

मानव का अस्तित्व वनस्पति और जीव−जंतु के अस्तित्व पर निर्भर है। हमारे आसपास वृक्ष, जल वायु एवं विभिन्न प्राकृतिक कारकों को हम पर्यावरण के रूप में जानते हैं। पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। अपने परिवेश में हम तरह−तरह के जीव−जन्तु, पेड़−पौधे तथा अन्य सजीव−निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं। ये सब मिलकर पर्यावरण की रचना करते हैं। आज के मशीनी युग में हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं। आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके। ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्त्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है। इस प्रकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है। वास्तव में सजीव तथा निर्जीव दो संघटक मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं।

Answered by TbiaSupreme
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"पर्यावरण हानि की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारों ने जो पहल की है उसके बारे में हम जान चुके हैं लेकिन इन चुनौतियों के मद्देनजर कुछ महत्वपूर्ण पेशकश अंतरराष्ट्रीय सरकारों की तरफ से नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न भागों मे पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यकर्ताओं और संगठनों ने की है| इन संगठनों में कुछ तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और कुछ स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं|

पर्यावरण आंदोलन आज संपूर्ण विश्व में सबसे ज्यादा जीवंत, विविधता पूर्ण और ताकतवर -सामाजिक आंदोलन माना जाता है |राजनीतिक कार्यवाही सामाजिक चेतना के दायरे में ही जन्म लेती है | इन आंदोलनों से नई सोच नई विचार जन्म लेते हैं | इन आंदोलनों ने हमें राह दी है कि व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के लिए आने वाले दिनों में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए | नीचे कुछ उदाहरणों में चर्चा की जा रही है जिसमें स्पष्ट है कि पर्यावरण आंदोलनों की एक मुख्य विशेषता उनकी विविधता है :-

पर्यावरण संरक्षण और विभिन्न देश

1. खनिज उद्योग पृथ्वी के सबसे प्रभावशाली उद्योगों में से एक है | विश्व अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कारण दक्षिणी गोलार्ध के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खुल चुकी है | खनिज उद्योग पृथ्वी के भीतर मौजूद संसाधनों का भरपूर दोहन करता है , रसायनों का भरपूर उपयोग करता है ,भूमि और जल मार्गों को प्रदूषित करता है , स्थानीय वनस्पतियों को नुकसान पहुंचाता है और इस कारण कई बार जन समुदाय को विस्थापित तक होना पड़ता है | इन कारणों से विश्व के विभिन्न भागों में खनिज उद्योग की आलोचना और विरोध हुआ है|

2. दक्षिणी देशों जैसे मैक्सिको, ब्राज़ील, चिल्ली ,इंडोनेशिया ,मलेशिया, अफ्रीका महाद्वीप और भारत के वन आंदोलनों पर अत्यधिक दबाव है | पिछले कुछ दशकों से पर्यावरण को लेकर सक्रियता का दौर जारी है |इन सब के बावजूद तीसरी दुनिया के विभिन्न देशों और विकासशील देशों में वनों की कटाई खतरनाक गति से जारी है | पिछले दशक से विश्व के कुछ बचे खुचे  विशालतम वनों का विनाश और बढ़ रहा है|

कुछ उदाहरण :-

1. फिलीपींस में एक अच्छी मिसाल कायम की है जहां कई संगठनों ने मिलकर ऑस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी ""वेस्टर्न माइनिंग कॉरपोरेशन "" के खिलाफ अभियान चलाया है| इस कंपनी का विरोध खुद ऑस्ट्रेलिया में भी किया गया था| इस विरोध के पीछे परमाणु शक्ति के विरोध की भावनाएं काम कर रही है| ऑस्ट्रेलिया में इस कंपनी का विरोध ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों के बुनियादी अधिकारों के समर्थन में किया गया था|

2. बड़े बांधों के खिलाफ भी कुछ आंदोलन किए जा रहे हैं| बांध विरोधी आंदोलनों को नदियों को बचाने की मुहिम के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि ऐसे आंदोलनों में नदियों और नदी घाटियों से ज्यादा टिकाऊ और न्याय संगत प्रबंधन की बात उठाई जा रही है| दक्षिणी गोलार्ध में 1980 के दशक में विश्व का पहला बांध विरोधी आंदोलन चलाया गया| ऑस्ट्रेलिया में फ्रैंकलीन नदी और इसके वन क्षेत्र को बचाने के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया| यह आंदोलन नदी, नदी घाटी और वन्य क्षेत्र को बचाने के लिए तो था ही साथ ही बांध विरोधी आंदोलन भी था|

3. फिलहाल इंडोनेशिया से लेकर चीन, तुर्की से लेकर थाईलैंड दक्षिण अफ्रीका समेत दक्षिणी गोलार्ध के देशों में बांध बनाने की होड़ लगी हुई है| भारत में भी नदी हितेषी और बांध विरोधी कुछ आंदोलन चल रहे हैं| नर्मदा आंदोलन इन इन आंदोलनों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है| ध्यान देने की बात यह है भारत में पर्यावरण बचाव और बांध विरोधी के अन्य आंदोलन एक तरह से सामान धर्मी है क्योंकि यह अहिंसा आधारित आंदोलन है|

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