Hindi, asked by Mehulkumarsingh, 1 year ago

वाख कविता मे न खान से इंसान अंहकारी कैसे बनता है​

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Answered by Tanishkajha27
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कविता का सार

कवयित्री के अनुभव के अनुसार यह जीवन नशवर एवं क्षणभंगुर है। जीवन की क्षणभंगुरता के कारण ही जीव का परमात्मा से मिलन नहीं हो पाता है। प्रभु मिलन के लिए उसके हृदय में बार-बार तड़प उठती है, ¯कतु परमात्मा से मिलन नहीं होता क्योंकि मनुष्य या तो भोगों में लिप्त हो जाता है, या फिर हठयोगी बन जाता है, जबकि मुक्ति का द्वार तो समभावी होने से ही खुलेगा। कवयित्री के अनुसार ‘शिव’ अर्थात परमात्मा तो बिना भेदभाव के, घट-घट में, हिंदू-मुसलमान सब में, समान रूप से विद्यमान है। अतः सच्चा ज्ञानी वही है, जो अपनी आत्मा ;जीवात्मा रूपी परमात्माद्ध को जानता है क्योंकि आत्मज्ञान से ही परमात्मा से मिलन संभव है।

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