विसर्ग किसे कहते हैं?
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विसर्ग ( ः ) महाप्राण सूचक एक स्वर है। ब्राह्मी से उत्पन्न अधिकांश लिपियों में इसके लिये संकेत हैं। उदाहरण के लिये, रामः, प्रातः, अतः, सम्भवतः, आदि में अन्त में विसर्ग आया है। जैसे आगे बताया गया है,विसर्ग यह अपने आप में कोई अलग वर्ण नहीं है; वह केवल स्वराश्रित है।
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विसर्ग:- जब भी हम किसी किसी वर्ण या अक्षर की उच्चारण करते हैं तो उनकी कुछ अलग प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसी प्रकार से जब विसर्ग का उच्चारण करते हैं तो इनकी उच्चारण ध्वनि ह् के रूप में होती है।
- इसका प्रयोग अक्सर हमें संस्कृत में ज्यादा देखने को मिलता है। इसका चिन्ह (:) कुछ इस प्रकार का होता है। संस्कृत में बहुवचन शब्दों का प्रयोग करने के लिए लिंग का प्रयोग करते हैं। जैसे-अतः, प्रातः, छात्रः, बालकः, धावकः इत्यादि।
- जैसे- अगर वाक्य है- “राम एक बालक है।” तो इसका संस्कृत अनुवाद होगा – रामः एकः बालकः अस्ति। अगर वाक्य है- सीता एक बालिका है।। तो इसका संस्कृत अनुवाद इस प्रकार होगा – सीता एका बालिका अस्ति।
- उपर्युक्त दोनो वाक्यों में भेद है। क्योंकि तीनों क्रमशः पुल्लिंग स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग हैं।पुल्लिंग में विसर्ग का प्रयोग है, किंतु शेष में विसर्ग का प्रयोग नही है।
- स्त्रीलिंग तथा नपुंसकलिंग शब्दों में भी विभक्तियों तथा वचनों के अनुसार विसर्ग का प्रयोग होता है।
- अतः कह सकते हैं कि विशेष रूप से पुल्लिंग में विसर्ग का प्रयोग होता है, लेकिन ये आवश्यक नही की प्रत्येक पुल्लिंग शब्द या वाक्य में विसर्ग हो। विसर्ग के प्रयोग के विषय में नियम होतें हैं।
ईसे, विसर्ग काहेते है।
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