वंशीधर और अलोपीदीन के चार-चार चारित्रिक अंतर बताइए। from namak daroga chapter
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मुंशी वंशीधर नमक का दरोगा पाठ के मुख्य पात्र है ।कहानी उनके चरित्र के चारों ओर घूमती हैं । उनके चरित्र का सौंदर्य दर्शाने के लिए कथानक उभर कर आता है ।चारित्रिक विशेषताओं के आधार पर उनमें निम्नलिखित गुणों का उल्लेख किया जा सकता है ।- -
निर्लोभी वृत्ति - उनकी सबसे बड़ी विशेषता है निर्लोभी होना । धन, बड़े से बड़े व्यक्ति के चरित्र को डिगाने का सामर्थ्य रखता है किंतु वंशीधर बाबू किसी भी सूरत में बिकने को तैयार नहीं होते । यहां तक कि ₹40,000 की रिश्वत का लालच भी उनके ईमान को डिगा नहीं पाता है ।
कर्तव्यनिष्ठ - वंशीधर कर्तव्यनिष्ठ दारोगा है । देर रात तक अपनी ड्यूटी के लिए सजग रहकर रात में पुल पर से गाड़ियों के गडगडाहट की आवाज को सुन लेते हैं और स्वयं तैयार होकर मौके पर पहुंच जाते हैं । अफसर शाही की अकड़ में वहीं बैठे- बैठे अपने मातहतों को परेशान नहीं करते बल्कि स्वयं मौके पर जाकर अपने कर्तव्य को अच्छी तरह निभाते हैं और जब उनके मातहत लोग लालच के कारण गाड़ियों में लदे माल का नाम नहीं लेते तो वह स्वयं प्रयत्न करके गाड़ियों में भरे नमक का परीक्षण करते हैं ।
चरित्र की दृढ़ता और कठोरता - वंशीधर कठोर स्वभाव के दृढ़ चरित्र अफसर एवं पूरी रौबदारी से काम लेते हैं । अपराधी के प्रति जरा भी दया भाव नहीं रखते हैं । एक अफसर में जैसी कठोरता और दृढ़ता होनी चाहिए, उनमें विद्यमान है ; यही कारण है कि अलोपीदीन जैसे समर्थ व्यक्ति के द्वारा फेंके हुए रिश्वत के पांसे उन्हें फंसा नहीं पाते हैं ।
स्वाभिमानी एवम् सत्यनिष्ठ -उनमें स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरी हुई हैं। यही कारण है कि जब अलोपीदीन स्वयं चलकर उनके पास पहुंचते हैं तो वह स्वाभिमान पूर्ण व्यवहार करते हैं । उनके मन में नौकरी से मुअत्तल हो जाने का भय नहीं रहता है । उन्हें अपनी सत्यनिष्ठा का स्वाभिमान है ।
संवेदनशील और धर्मपरायण - बंशीधर कठोर अवश्य थे किंतु वह सब व्यक्तीयों के प्रति अत्यंत कोमल और संवेदनशील भी है । जब उन्हें ज्ञात होता है कि अलोपीदीन सद्भावना से उनके घर आए हैं तो वह उनके प्रति कोमल भावों से भर उठते हैं । अलोपीदीन द्वारा दिया गया स्थाई मैनेजर का पद पाकर वे कृतकृत्य हो जाते हैं और उनका मन श्रद्धा और भक्ति से भर जाता हैं ; आंखों में आंसू आ जाते हैं । इससे उनकी संवेदनशीलता का परिचय प्राप्त होता है ।
वे अपने धर्म का पूरी निष्ठा से पालन करते है इसीलिए वे अलोपीदीन की भ्रष्ट नीतियों को परास्त कर सदाचार का शंखनाद कर पाते हैं ।