वृद्धजनों की समझ की कहानी
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मैं इस कहानी में वृद्धजन और बच्चों की तुलना एक साथ कर रही हूँ | वृद्धजन और बच्चों का व्यवहार एक जैसा हो जाता है| जब जवानी की उम्र काटने के बाद हम वृद्ध अवस्था में आ जाते है | वृद्ध अवस्था में हमारा व्यवहार बच्चों की तरह हो जाता है | जिद्दी , बात न मानना , अपनी मर्जी करना , खाना नहीं खाना | जैसे बच्चे करते है |
इस अवस्था में हमें वृद्धजनों को समझने की जरूरत होती है | उन्हें प्यार और खुशी से रखने की जरूरत होती है | जिसे हम छोटे से बच्चे को रखते है | हमें इस अवस्था में उनके ऊपर कभी भी गुस्सा नहीं करना चाहिए | आज के समय में देखा जाए तो बहुत कम लोग अपने वृद्धजनों को साथ रखते है | वह अपने बारे में सोच कर या तो उन्हें वृद्ध आश्रम में डाल देते है या अकेले घर पर रखते है | इस समय में उन्हें हमें अपने साथ रखना चाहिए , उनकी सभी इच्छाएँ पूरी करनी चाहिए क्योंकि एक वह समय था जब उन्होंने अपनी इच्छाएँ पूरी न करके हमारी इच्छाएँ पूरी की होंगी| हमारा कर्तव्य बनाता है की हम वृद्धजनों को समझे और उनका ध्यान रखें जैसे उन्होंने हमारा रखा है |