Hindi, asked by pallavibhaje473, 1 month ago

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध लेखन​

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Answered by Anonymous
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किसी छात्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह समय का सही उपयोग कैसे करता है या नहीं। विद्यार्थी यदि अनुशासित नहीं है तो वह समय का पूरा उपयोग नहीं कर सकता है। अनुशासन हमारे जीवन के हर चरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक अनुशासनहीन जीवन पतवार के बिना एक जहाज की तरह है।

Answered by khushic569
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अनुशासन का अर्थ – अनुशासन शब्द ‘शासन’ में ‘अनु’ उपसर्ग जोडने से बना है जिसका अर्थ है-शासन के पीछे चलना। इस शासन को व्यवस्था या नियम भी कहा जा सकता है। अर्थात् समाज और बड़े लोगों द्वारा निर्धारित किए गए नैतिक और सामाजिक नियमों का पालन करना ही अनुशासन कहलाता है।

अनुशासन का महत्त्व – अनुशासन का महत्त्व सर्वत्र है। जीवन में कदम-कदम पर अनुशासन का महत्त्व है। निरंकुश जीवन स्वेच्छाचारिता का शिकार होकर लक्ष्य से भटक जाता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। यह जीवन का निर्माणकाल होता है। इस काल में अनुशासन की महत्ता सर्वाधिक होती है। इस समय घर में माता-पिता और बड़ों की बातें मानकर अनुशासित जीवन जीना चाहिए।

विद्यालय में एक आदर्श विद्यार्थी कहलाने के लिए अनुशासन का पालन अनिवार्य है। इसके लिए विद्यालय के नियमों, अपने अध्यापक एवं प्रधानाचार्य की आज्ञा का पालन करना अत्यावश्यक हो जाता है। इतना ही नहीं, विद्यालय की संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना तथा अपने आसपास साफ़-सफ़ाई रखना अनुशासन के ही अंग हैं। दुर्भाग्य से विद्यार्थी अनुशासनहीनता पर उतरकर अवांछनीय कार्यों में शामिल हो जाते हैं।

विद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनता के कारण – समाचार पत्र, दूरदर्शन मीडिया आदि के प्रभाव के कारण विद्यार्थियों में यह सोच बढ़ी है कि अब वे बच्चे नहीं रहे। अब उन्हें अनुशासन में रहने की आवश्यकता नहीं रही। यह सोच उन्हें अनुशासनहीनता की ओर उन्मुख करती है। इसके अलावा छात्रों का राजनीति में प्रवेश करना भी इसका मुख्य कारण है।

अनुशासनहीनता का दुष्प्रभाव – अनुशासनहीनता का दुष्प्रभाव अलग-अलग रूपों में नज़र आता है। अनुशासनहीन विद्यार्थी का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता है। वह पढ़ाई में पिछड़ता जाता है। वह लक्ष्यभ्रष्ट होकर माता-पिता की अपेक्षाओं पर तुषारापात करता है। अनुशासनहीन छात्र विद्यालय परिसर में अपनी ताकत दिखाने के लिए छात्रों को अपने साथ मिलाने का प्रयास करते हैं।

वे बात-बात में विद्यालय, कॉलेज या अन्य संस्थान बंद कराने के लिए तोड़-फोड़ का सहारा लेते हैं और सरकारी संपत्ति को क्षति पहुँचाते हैं। इसके अलावा लालच, बुरी संगत में पड़ना, आवश्यकता एवं पाकेटमनी से अधिक खर्च करने का शौक, दिखावे की प्रवृत्ति आदि भी छात्रों को अनुशासनहीनता की ओर उन्मुख करती है।

अनुशासनहीनता रोकने के उपाय – अनुशासनहीनता रोकने का पहला उपाय है-आत्मानुशासन में रहना। यदि व्यक्ति अपने शासन में रहता है तो यह समस्या नहीं आती है। इसके अलावा छात्रों को नैतिक शिक्षा अवश्य दी जानी चाहिए। छात्रों के साथ मित्रवत व्यवहार करना, उनकी बातें सुनकर उनकी समस्या का निवारण करने से अनुशासनहीनता रोकी जा सकती है।

उपसंहार – जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन बहुत आवश्यक है। अनुशासन हमें अच्छा मनुष्य बनने में सहायता करता है। हम सबको अनुशासनबद्ध जीवन जीना चाहिए।

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