विद्यार्थियों को सावधानी जीवन निर्माण क्योकहीगडटे।
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जीवन का स्वर्ण काल कहलाता है-विद्यार्थी जीवन। यह मात्र एक वाक्य नहीं है बल्कि सार्थक जीवन का सम्पूर्ण दर्शन है। अब यह अलग बात है कि कोई विद्यार्थी इसे स्वीकार करे या नहीं करे। जीरो से बीस वर्ष बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, यही समय होता है सही रास्ते और गलत रास्ते पर चलने का।
सही रास्ता है-जिस प्रकार से एक किसान का काम होता है-खेती करना, एक मजदूर का काम होता है-मजदूरी करना, एक वकील का काम होता है-वकालत करना, एक अध्यापक का काम होता है-अध्यापन करवाना, एक घर के मुखिया का काम होता है-घर को अच्छे से संचालित करना, उसी प्रकार एक विद्यार्थी का काम होता है-पढ़ाई करना, इसके सिवाय उसके सामने कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है।
पढ़ाई करना, मन से पढ़ाई करना, रुचि से पढ़ाई करना, खुशी से पढ़ाई करना ही विद्यार्थी के लिए सही रास्ता है। जो भी विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पर समर्पित हो गया, इसका मतलब उसके जीवन में सरलता आ गई, सज्जनता आ गई, संकल्प आ गए, सृजन आ गए, समर्पण आ गए, संस्कार आ गए और इन सबका मतलब होता है कि जीवन सार्थक हो गया, जीवन सफल हो गया और जीव का उद्देश्य भी तो यही है।
जिस भी विद्यार्थी ने अपने सही रास्ते को नहीं चुना, रास्ते से भटक गया और अपने कदमों को गलत रास्ते पर बढ़ा दिए तो फिर सर्मा गए कि न तो उसका जीवन सार्थकता की ओर जाएगा और न ही सफलता की ओर। गलत रास्ते का मतलब है-पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं करना, यदि कोई विद्यार्थी है तो वह पढ़ने के कारण, पढ़ाई के कारण ही है।
यदि वह पढ़ाई नहीं करेगा तो फिर वह समय को यौं ही जाया करेगा, नशा करने की आदत डालेगा, धूम्रपान करने लगेगा, पान-मसाले चबाने शुरू कर देगा, आवारागर्दी में घूमने लगेगा, चोरी और झूठ बोलने की आदते पनपेंगी, आलसी बन जाएगा, फास्ट फूड, कोल्ड्रिंक व जंक फूड का सेवन करने लगेगा, अनियमित दिनचर्या की आदतें हो जाएंगी, टीवी-मूवी में उलझ जाएगा और सोने में अपना समय गंवा देगा। इन सबका मतलब होता है निस्सार जिंदगी और निष्फल-असफल जिंदगी, गुमनाम, बदनाम, बदहाल जिंदगी और ऐसी जिंदगी कोई क्यों जीना चाहेगा? इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि गलत रास्ते की तरफ कदम तो क्या एक नजर भी न जाने पाए यदि कोई विद्यार्थी सम्मान और सार्थकता से भरी जिंदगी जीना चाहता है।
प्रेरणा बिन्दु:-
धरा रह जाता है धन बल
भुजबल पड़ जाता कमजोर
साथ हर पल विद्या बल
यश फैलाए चारों ओर।