व्याख्या कीजिए :
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उँड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है ?
मीठे पानी के सोता है
भीतर वह, ऊपर तुम
मुस्काता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है !
उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार - अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है ?
Answers
कवि अपने किसी प्रिय को याद करते हुए उसके विरह में कहता है कि तुम्हारा-मेरा संबंध पता नहीं कैसा है। मैं जितना भी भूलने का प्रयास करता हूँ उतना ही अधिक स्मरण हो आता है |
कवि आगे कहते हैं कि मेरे हृदय में मीठे पानी के झरने के समान भाव हैं जो की झरने की तरह बह रहे हैं और बाहर तुम मेरे जीवन में हो |
तुम्हारा सुंदर खिलता हुआ चेहरा मेरे जीवन को उसी प्रकार प्रकाशित करता है जिस प्रकार चाँद रात-भर धरती को प्रकाशित करता है।
चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में नहाने की बात से तात्पर्य यह है की-
कवि ने अपने प्रिय के स्मरण की स्थिति को प्रकाश की स्थिति बताया है | कवि को प्रियतमा की स्मृतियाँ आनंद देती है परंतु उन स्मृतियों से वंचित होने का भय भी सताता है |
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धर्म के विषय में कबीर का क्या दृष्टिकोण था?
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Explanation:
कवि की मानसिक स्थिति कैसी है