व्यायाम और स्वास्थ्य पर लेख
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आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान के पास फुर्सत के दो पल भी नसीब नहीं हैं | घर से दफ्तर, दफ्तर से घर | कभी घर ही दफ्तर बन जाता है | यानि इंसान के काम की कोई सीमा नहीं है | वह हमेशा खुद को व्यस्त रखता है | इस व्यस्तता के कारण आज मानव-शरीर तनाव, थकान, बीमारी इत्यादि का घर बनता जा रहा है | उसने हर प्रकार की सुख-सुविधाएं तो अर्जित कर ली हैं, किन्तु उसके सामने शारीरिक एवं मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने की चुनौती आ खड़ी हुई है | यद्यपि चिकित्सा एंव आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में मानव ने अनेक प्रकार की बीमारियों पर विजय हासिल की है, किन्तु इससे उसे पर्याप्त मानसिक शांति भी मिल गई हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता | तो क्या मनुष्य अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है ? यह ठीक है कि जरुरी काम है, लेकिन काम के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी ख्याल रखा जाये, तो यह सोने-पे-सुहागा वाली बात ही होगी |
यूँ भी कहा गया है कि “स्वास्थ्य ही धन है |” यदि व्यक्ति स्वस्थ न रहे तो उसके लिए दुनिया की हर खुशी निरर्थक होती है | रुपए के ढेर पर बैठकर आदमी को तब ही आनन्द मिल सकता है, जब वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हो | स्वास्थ्य की परिभाषा के अंतर्गत केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना ही नहीं, बल्की मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी शामिल है | व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ हो, किन्तु मानसिक परेशानियों से जूझ रहा हो, तो भी उसे स्वस्थ नहीं कहा जा सकता | उसी व्यक्ति को स्वस्थ कहा जा सकता है. जो शारीरिक एवं मानसिक दोनों रुप से स्वस्थ हो |
व्यक्ति का शरीर एक यंत्र की तरह है | जिस तरह यंत्र को सुचारु रुप से चलाने के लिए उसमे तेल-ग्रीस आदि का प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार, मनुष्य को अपने शरीर को क्रियाशील एवं अन्य विकारों से दूर रखने के लिए शारीरिक व्यायाम करना चाहिए | शिक्षा एंव मनोरंजन के दृष्टिकोण से भी व्यायाम का अत्यधिक महत्त्व है | शरीर के स्वस्थ रहने पर ही व्यक्ति कोई बात सीख पाता है अथवा खेल, नृत्य-संगीत एवं किसी प्रकार के प्रदर्शन का आनंद उठा पाता है | अस्वस्थ व्यक्ति के लिए मनोरंजन का कोई महत्त्व नहीं रह जाता |
Answer:
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम एक महत्वपूर्ण उपाय है। यदि हम किसी मशीन को लंबे समय तक उपयोग में नहीं लाते हैं तो उसमें जंग लग जाती है। मशीन से काम लेते रहने और उसकी देखभाल करते रहने से वह ठीक हालत में रहती है। यही बात हमारे शरीर के साथ भी है। जो निरंतर व्यायाम से संतुलित रहता है। अच्छा स्वास्थ्य एक वरदान है। अच्छे स्वास्थ्य से ही हम धार्मिक और सांसारिक कर्म करने में सक्षम हो सकते हैं। स्वस्थ शरीर से ही सुख सुविधाएं प्राप्त की जा सकती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास हो सकता है। जिस व्यक्ति का शरीर ही स्वस्थ नहीं उसका मस्तिष्क भला कैसे स्वस्थ रह सकता है। speech on vyayam aur swasthya
स्वस्थ मस्तिष्क के अभाव में व्यक्ति कोई भी सकारात्मक कार्य नहीं कर सकता। व्यक्ति को अपने शरीर को स्वस्थ तथा काम करने योग्य बनाए रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है। व्यायाम और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक है। व्यायाम से न केवल मनुष्य का शरीर पुष्ट होता है बल्कि वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है। यदि शरीर रोगी है तो उस में स्वस्थ मन निवास कदापि नहीं कर सकता। यदि मन स्वस्थ न हो तो विचार भी स्वस्थ नहीं हो सकते। जब विचार स्वस्थ नहीं होंगे तो कर्म की साधना कैसी होगी? कर्तव्यों का पालन कैसा होगा? शरीर को चुस्त , दुरुस्त एवं बलशाली बनाने के लिए व्यायाम आवश्यक है।