व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रमुख क्षेत्र क्या है
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Answer:
हम कह सकते है कि व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्व से अभिप्राय है फर्म द्वारा उन नीतियों को अपनाना और उन कार्यों को करना जो समाज की आशाओं और उसके हित की दृष्टि से वाँछनीय हो।
Explanation:
व्यवसाय से सार्वजनिक अपेक्षाओं में परिवर्तन - अब उन्हीं व्यवसायिक संस्थाओं का अस्तित्व बना रह सकता है जो समाज की आवश्यकताओं को संतुष्ट करती हैं। व्यवसाय दीर्घकाल में भी जीवित रहे इस हेतु उसे समाज की न केवल आवश्यकताएँ पूरी करनी होगी बल्कि समाज को वह भी देना होगा जो समाज चाहता है।
सार्वजनिक छवि में सुधार - सामाजिक उत्तरदायित्व पूरा करने से व्यवसाय की सार्वजनिक छवि या प्रतिबिम्ब में सुधार होता है। प्रत्येक फर्म अपनी सार्वजनिक प्रतिरुप में वृद्धि करना चाहती है ताकि उसे अधिक ग्राहकों, श्रेष्ठ कर्मचारियों, मुद्रा बाजार से अधिक सुविधाएँ इत्यादि के रूप में लाभ प्राप्त हो सकें।
नैतिक उत्तरदायित्व - आधुनिक औद्योगिक समाज अनेक गम्भीर सामाजिक समस्याओं, मुख्य रूप से बड़े उद्योगों या निगमों द्वारा उत्पन्न की गयी, से ग्रस्त है। अत: उद्योगों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे उन समस्याओं को दूर करने या उनकी गम्भीरता को कम करने में भरसक सहायता करे। चूँकि अर्थव्यवस्था के अनेक संसाधनों पर व्यवसायिक फर्मों या उद्योगों का नियंत्रण होता है इसलिए उन्हें कुछ संसाधनों का समाज के सुधार तथा विकास हेतु उपयोग करना चाहिए।
पर्याप्त संसाधन - कर्मचारी, योग्यता कार्यात्मक विशेषज्ञता, पूँजी इत्यादि के रूप में एक व्यवसाय के पास संसाधनों की एक बड़ी मात्रा होती है। इन संसाधनों के प्रभुत्व से व्यवसाय सामाजिक उद्देश्यों हेतु कार्य करने के लिए एक अच्छी स्थिति में होता है।
सरकारी नियमन से बचाव - सरकार एक अतिविशाल संस्था होती है जिसके अनेक अधिकार होते हैं। वह सार्वजनिक हित में व्यवसाय का नियमन करती है। यह नियमन काफी महंगा होता है तथा निर्णयन में व्यवसाय को आवश्यक स्वतंत्रता प्रदान नहीं करता है। इससे पहले कि सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करे व्यवसाय को समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करना चाहिए।
श्रम आन्दोलन - आज का श्रमिक अपने अधिकारों एवं मांगों के प्रति काफी सजग है तथा श्रम आन्दोलन व एकता के कारण व्यवसायी भी अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक हो गये हैं। व्यवसायी भी आज इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि एक संतुष्ट कर्मचारी या श्रमिक व्यवसाय की अमूल्य पूंजी होता है। इसलिए श्रमिकों के प्रति दायित्वों को पूरा करना व्यवसाय का एक प्राथमिक कर्तव्य हो गया है।