Hindi, asked by AdityaLachhiramka11, 1 year ago

वह जन्मभूमि मेरी answers of evergreen publication

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Answered by DhruvSharma009
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एक तरह की सोच, एक तरह की जीवन पद्धति एवं एक ही तरह के जीवन मूल्यों के विस्तार का एक सशक्त माध्यम धर्म है। धर्म के अविर्भाव का मूल उद्देश्य ही लोगों के बीच एकता को बढ़ाना है। विश्व में धर्म की उत्पत्ति से पहले लोग कबीलाई संस्कृति में रहते थे, हालांकि कबीलाई संस्कृति में भी एक साझा जीवन पद्धति को अपनाने की प्रक्रिया पर बल दिया जाता था और हर कबीले में कुछ-ना-कुछ नियमों की सारणी होती थी। धीरे-धीरे इन कबीलों का आकार बड़ा होने लगा और लोगों के वैचारिक विकास के साथ ही समाज का निर्माण हुआ और समाज को संतुलित रखने के लिए व्यापक स्तर पर नियम बनाए जाने लगे।

इन नियमों के साथ ही लोगों के रहन-सहन एवं जीवन जीने के तरीके, आहार-विहार, आपस में एक-दूसरे के साथ के रिश्ते, ईश्वर में विश्वास, पूजा या इबादत की पद्धति आदि का विकास हुआ जिन्हें व्यापक स्तर पर धर्म की संज्ञा दी जाने लगी। इस प्रकार विश्व में अलग-अलग क्षेत्रों में कई धर्म स्थापित हो गए, हालांकि विश्व के सभी धर्मों के मूल में एकता की ही भावना है। अर्थात् लोगों को एक सूत्र में बांधे रहना जिससे एक समाज का निर्माण हो सके और लोगों के बीच पनपने वाले विभिन्न मत-मतांतरों के विभेद को कम से कमतर किया जा सके। इस प्रकार समाज में धर्म की उत्पत्ति का आधार ही एकता है जिसके द्वारा लोग संगठित होकर अपने समाज के हितों के प्रति सोचते हुए अपने समूह की बेहतरी की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।

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