Hindi, asked by crystinia, 1 year ago

'वन्दे मातरम का महत्व : कल आज और भविष्य' पर 400 शब्द का निबन्ध लिकिए I

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Answered by Anonymous
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वंदे मातरम !!

वंदे मातरम’ की रचना बंकिम चन्द्र चटर्जी ने
७ नवम्वर १८७६ बंगाल को कांतल पाडा गांव में की । वास्तविक रूप में यह गीत उन्होंने एक उपन्यास के लिए लिखा था । उपन्यास का नाम था - आनंद मठ ।

इस बहुत ही पवित्र गीत की रचना दो भाषाओ के मेल से हुई - संस्कृत एवम् बांग्ला। दिसम्बर १९०५ में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गीत को राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया गया, बंग भंग आंदोलन में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बना। इस प्रकार यह हमारा राष्ट्रिय गीत बना।

वास्तविक रूप में राष्ट्रिय गीत का अपना बहुत ही ज्यादा महत्व है । अगर हम इस गीत के भाव की गहराइयों में जाए तो हमे पता लगेगा की यह कितना सुंदर भाव लिए हुए है ।

क्या बंकिम चंद्र चटर्जी ने कभी इसे यह सोचकर बनाया था की यह देश का राष्ट्रिय गीत बन जाएगा । जी नहीं !! यह सिर्फ उनके अंदर की देश भक्ति थी जो उनसे इतना सुंदर एवं पावन गीत लिखवा गयी ।


हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियो ने यह नीव रखी थी की वे लोग राष्ट्रिय गान तथा राष्ट्रिय गीत दोनों को समान से गाते थे । यह परम्परा तभी से चली आ रही है और अगर देशवासियो में देशभक्ति की भावना निरंतर चलती रही तो यह आगे भी चलेगी ।

राष्ट्रिय गीत केवल एक गीत ही नहीं । हर भारतीय की तमन्ना एवम् कामना है जो वह अपनी माँ अथार्त् भारत भूमि से कर रहा है । इस गीत के माध्यम से वह अपनी माँ को अपनी इच्छाएँ एवं कामनाऐ बताना चाहता है ।तथा इसमें वह अपने देश की शान का भी जिक्र करता है ।

मैं अगर अपनी बात करना चाहूँ तो मैंने पाया है की इससे हमारे देश की संस्कृति , देश वासियों का देश के प्रति प्रेमी , मेल जोल की भावना देखने को मिली । मुझे नाज है खुद पर की मैं एक भारतीय हूँ।

जय हिन्द जय भारत ।

Anonymous: thank you
NishantMishra3: nyc ans sis
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PrincessNumera: Awesome !
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YourWellwisher: Good Ahse, Keep it up!
YourWellwisher: Your Well Wisher! ^_^
Anonymous: thank you Flamingo :)
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Answered by StudyBoySid
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वंदे मातरम् – भारत का राष्ट्रीय गीत, 24 जनवरी 1950 को अपनाया गया था। यह निबंध इस महान इतिहास, गीत और महत्व पर एक नजर डालता है। प्रसिद्ध बंगाली लेखक और उपन्यासकार, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित वंदे मातरम् की पहली दो छंद को 24 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में चुना गया था। यह गीत कुछ आधिकारिकों को छोड़कर राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ के समान दर्जा देता है। जब भारत आज़ाद हुआ, तब निश्चित रूप से ‘जन गण मन’ की तुलना में ‘वन्दे मातरम्’ अधिक लोकप्रिय स्वर था, जिसे बाद में संविधान सभा द्वारा राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।

‘वंदे मातरम्’ ही स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों और राष्ट्रवादी नेताओं का मूल गीत था। इसने कई युवा पुरुषों और महिलाओं को उत्साहित और प्रेरित किया जो समय की देशभक्ति भावनाओं में घिरे हुए थे। उनकी मातृभूमि की सेवा में अपनी आत्माओं को समर्पित करते थे। क्रांतिकारी बने अध्यात्मवादी अरबिंद घोष ने इसे ‘बंगाल का गान’ करार दिया।

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