"Vano ka mehatva" par nibandh
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मित्र हम कुछ पंक्तियाँ भेज रहे हैं। इस आधार पर स्वयं निबंध लिखने का प्रयास कीजिए-
वन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। पेड़ों की पूजा तो हम सदियों से करते आ रहे हैं। ये हमारा पालन-पोषण करते हैं। ये हमारे जीवन का आवश्यक अंग है। पेड़ों के बिना हम भी अधिक समय तक अपने अस्तित्व को जिंदा नहीं रख सकते। यह हमारे लिए बहुपयोगी हैं। परन्तु हम यह सब जानते हुए भी अपने स्वार्थों के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। अपने घरों, खेतों और वस्तुओं के निर्माण संबंधी आवश्यकताओं के लिए हम इनकी बलि चढ़ा रहे हैं। जितनी तेज़ी से हम इनकी कटाई कर रहे हैं, उतनी तेज़ी से ही हम अपनी जड़ें भी काट रहे हैं। वनों के कटाव के कारण आज भंयकर स्थिति उत्पन्न हो गई है। वायुमण्डल में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। वायु प्रदूषण मनुष्य के लिए हानिकारक हो गया है। इस प्रदूषण के कारण वायुमण्डल का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ध्रूवों में स्थित बर्फ भी इसी कारण लगातार पिघल रही है। यह बर्फ जहाँ हमारी पीने की आवश्यकता को पूरा करती हैं। वहीं यदि यह पिघल जाए, तो समुद्रतल को बढ़ा सकती है, जिससे प्रलय की स्थिति बन सकती है। पेड़ों की जड़े गहराई तक जाकर मृदा को बाँधे रखती है, जिससे बरसात में मिट्टी बह नहीं पाती है। इन सब समस्याओं को देखते हुए वृक्षों तथा वनों की उपयोगिता पर हमारा ध्यान केंद्रित होता है। हमें चाहिए कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाएँ और अपनी पृथ्वी को बचाएँ।
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वन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। पेड़ों की पूजा तो हम सदियों से करते आ रहे हैं। ये हमारा पालन-पोषण करते हैं। ये हमारे जीवन का आवश्यक अंग है। पेड़ों के बिना हम भी अधिक समय तक अपने अस्तित्व को जिंदा नहीं रख सकते। यह हमारे लिए बहुपयोगी हैं। परन्तु हम यह सब जानते हुए भी अपने स्वार्थों के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। अपने घरों, खेतों और वस्तुओं के निर्माण संबंधी आवश्यकताओं के लिए हम इनकी बलि चढ़ा रहे हैं। जितनी तेज़ी से हम इनकी कटाई कर रहे हैं, उतनी तेज़ी से ही हम अपनी जड़ें भी काट रहे हैं। वनों के कटाव के कारण आज भंयकर स्थिति उत्पन्न हो गई है। वायुमण्डल में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। वायु प्रदूषण मनुष्य के लिए हानिकारक हो गया है। इस प्रदूषण के कारण वायुमण्डल का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ध्रूवों में स्थित बर्फ भी इसी कारण लगातार पिघल रही है। यह बर्फ जहाँ हमारी पीने की आवश्यकता को पूरा करती हैं। वहीं यदि यह पिघल जाए, तो समुद्रतल को बढ़ा सकती है, जिससे प्रलय की स्थिति बन सकती है। पेड़ों की जड़े गहराई तक जाकर मृदा को बाँधे रखती है, जिससे बरसात में मिट्टी बह नहीं पाती है। इन सब समस्याओं को देखते हुए वृक्षों तथा वनों की उपयोगिता पर हमारा ध्यान केंद्रित होता है। हमें चाहिए कि अधिक से अधिक वृक्ष लगाएँ और अपनी पृथ्वी को बचाएँ।
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