Hindi, asked by agamjot1925, 7 months ago

वपींजरे में बींद पक्षिर्ों की मनोदशा के द्वारा कवव क्र्ा कहना चाहता है?
if anyone tell me i will mark the ans​

Answers

Answered by jaspreetkaurss2006
2

Answer:

वंशराज पाँडे नेपाली सेनाका उच्च पदस्थ अधिकारी और प्रशासकीय अधिकारी थे । गोरखा के पाँडे वंशके काजी कालु पांडेके ज्येष्ठ पुत्र थे। उनको राजा प्रतापसिंह शाहने देवान (प्रधानमंत्री) बनाया था। राजा रणबहादुर शाहके समयमें काजी स्वरुप सिंह कार्की के दरबारिया षड्यन्त्र में राजमाता रानी राजेन्द्र लक्ष्मी ने वंशराज को मृत्यदण्ड दिया था ।

श्री देवान साहेब

वंशराज पाँडे

वंशराज पाँडे

नेपालको देवान

जन्म

सन् १७३९

गोरखा राज्य

मृत्यु

सन् १७८५

भण्डारखाल बगैंचा, वसन्तपुर राजदरबार, काठमाडौँ

संबंधी

भाइ दामोदर पाँडे, ज्वाइँ केहरसिंह बस्न्यात, भान्जा कीर्तिमान् सिंह बस्न्यात

धर्म

हिन्दु

Answered by Anonymous
13

Answer:

कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में पक्षियों के जरिये स्वतंत्रता के महत्व का वर्णन किया है। कविता में पक्षी कहते हैं कि हम खुले आसमान में घूमने वाले प्राणी हैं, हमें पिंजरे में बंद कर देने पर हम अपने सुरीले गीत नहीं गा पाएंगे।

हमें सोने के पिंजरे में भी मत रखना, क्योंकि हमारे पँख पिंजरे से टकराकर टूट जाएंगे और हमारा जीवन ख़राब हो जाएगा। हम स्वतंत्र होकर नदी-झरनों का जल पीते हैं, पिंजरे में हम भला क्या खा-पी पाएंगे। हमें गुलामी में सोने के कटोरे में मिले मैदे से ज्यादा, स्वतंत्र होकर कड़वी निबौरी खाना पसंद है।

आगे कविता में पंछी कहते हैं कि पिंजरे में बंद होकर तो पेड़ों की ऊँची टहनियों पर झूला झूलना अब एक सपना मात्र बन गया है। हम आकाश में उड़कर इसकी हदों तक पहुंचना चाहते थे। हमें आकाश में ही जीना-मरना है।

अंत में पक्षी कहते हैं कि तुम चाहे हमारे घोंसले और आश्रय उजाड़ दो। मगर, हमसे उड़ने की आज़ादी मत छीनो, यही तो हमारा जीवन है।

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