वर्तमान कृषक जीवन की व्यथा इस कथन पर अपने विचार लिखिए
Answers
Answer:
वर्तमान किसान की जीवन की व्यथा
किसान जो गरीबी से बदहाल है, भूख से बेहाल है उसे कैसे-कैसे दिन देखने पड़ते हैं। वो कठोर परिश्रम पड़ता है और उसे एक आस रहती है कि उसकी अच्छी फसल होगी और वो अपने परिश्रम का फल पाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाता या तो उसकी फसल बाढ़ या सूखे के कारण खराब हो जाती है, उसकी फसल को सही दाम नहीं मिल पाता। वह पूरे साल भर कड़ी मेहनत करके फसल को तैयार करता है, लेकिन बीच के दलाल बिचौलिये सारा मुनाफा कमा ले जाते हैं और उसे उसके हाथ में आती है नाम मात्र की रकम, जो उसकी जरूरतों को पूरा नही कर पाती तब वो स्वयं को ठगा महसूस करता है।
किसान अन्नदाता है, अगर वह मेहनत करना छोड़ दे, अन्न उगाना छोड़ दे तो यह सारी दुनिया भूखी मर जाए। दुनिया भर लोगों पेट की आग बुझाने की जिम्मेदारी किसान पर है और वह सब पेट भरने के लिये अन्न पैदा करता है, लेकिन उसकी व्यथा कोई नहीं समझ पाता। अन्नदाता होकर भी खुद अन्न के दाने को तरसता रहता है।
किसान कर्ज लेकर साहूकारों-महाजनों के बोझ तले दब जाता है और कर्ज चुका नही पाता। तब उसके सामने अपनी जीवन लीला समाप्त करने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। लेकिन यह कठोर समाज, यह संवेदनहीन लोग उसकी व्यथा को समझ नहीं पाते और उसे दुख से उबारने में उसकी कोई मदद नहीं करते। यही आज के वर्तमान किसान की व्यथा है, वो आंदोलन करता है। सरकार से मिन्नतें करता है, लेकिन उसकी दशा नहीं सुधरती वह ज्यों का त्यों रह जाता है, गरीबी और भूख से लाचार किसान। यही आज के किसान की व्यथा है।