वर्तमान समय में गुरु-शिष्य संबंधों में आए बदलाव के क्या कारण हो सकते हैं? यह पहले जैसे ही हो जाए यह कैसे संभव हो सकता है?
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सारण। वर्तमान समय में गुरु शिष्य की परंपरा में भी बदलाव आया है। गुरु भी आज किताब के ज्ञान के साथ ही शिष्यों को टेक्नो फ्रेंडली शिक्षा लेने की सलाह दे रहे है। लेकिन पहले एवं आज के गुरू का भी लक्ष्य एक ही उनका शिष्य बेहतर करे और अपने साथ अपने गुरु का भी नाम रौशन करे। वे भी शिष्य के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने के लिए लगे हुए है। हालांकि इसमें भी बदलाव आया है। पहले शिक्षक कक्षा के साथ ही छात्र के विकास के लिए हमेशा व्यक्तिगत स्तर से सोचते रहे थे। लेकिन अब यह दायरा कक्षा तक ही सीमित होता जा रहा है। वह कक्षा के बाहर छात्रों के किसी भी गतिविधि पर ध्यान नहीं दे रहे है। जिसके कारण वर्तमान समय में शिक्षक -छात्र के रिश्ते भी खराब हो रहे है। लेकिन इसके बाद भी कई ऐसे शिक्षक है और छात्र है जो अपने प्रयास से इस रिश्ते को ऊंचाई दे रहे है।
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गुरु भी आज किताब के ज्ञान के साथ ही शिष्यों को टेक्नो फ्रेंडली शिक्षा लेने की सलाह दे रहे है। लेकिन पहले एवं आज के गुरू का भी लक्ष्य एक ही उनका शिष्य बेहतर करे और अपने साथ अपने गुरु का भी नाम रौशन करे। वे भी शिष्य के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने के लिए लगे हुए है। हालांकि इसमें भी बदलाव आया है।