vidhiyrthi or anushashan
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विद्यार्थी और अनुशासन
विद्यार्थी और अनुशासन यह एक दूसरे के बगैर अधूरे हैं । विद्यार्थी जीवन में अगर वह विद्यार्थी अनुशासन का पालन ना करें , तो वह विद्यार्थी नहीं है , और अगर वह अनुशासन का पालन करता है , तो वह अनुशासनवान और अनुशासित रहेगा । जो उसे भविष्य में उच्च शिखर तक पहुंच जाएगी।
अनुशासन
अनुशासन को मानव जीवन का मूल आधार माना जाता है। ऋतुओं का क्रमबद्ध परिवर्तन , सूर्य और चंद्रमा का नियम समय पर उदय और अस्त होना ,
पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना यह सब इतना नियमित है कि इनमें 1 सेकंड काफी अंतर नहीं होता। इतना ही नहीं वृक्ष , फल , फूल , सब्जियां आदि ऋतुओं के अनुसार उगना अनुशासन का ही परिणाम है ।
जीवन का मूल मंत्र ही है - अनुशासन
यह दो प्रकार का होता है:-
- बाह्य अनुशासन
- आंतरिक अनुशासन
बाह्य अनुशासन आरोपित होता है, किन्ही बाहरी शक्तियों द्वारा थोपा गया होता है। अनुशासन ना मानने पर डंडा अथवा सजा का प्रावधान होता है। इसके विपरीत आंतरिक अनुशासन स्वयं पर स्वयं द्वारा किया गया अनुशासन होता है। इसमें भय अथवा दंड का कोई भी ध्यान नहीं होता।
अनुशासन हीन व्यक्ति की तुलना पशुओं से की जाती है। देखा जाए तो वह भी इतना अनुशासन ही नहीं होते जितना कि एक उद्दंड तथा उच्छृंखल मनुष्य । अपनी आत्मा की आवाज को सुनकर उसके कहे अनुसार चलना आत्मानुशासन कहलाता है।
अनुशासन का सर्वश्रेष्ठ प्रकार आत्मानुशासन ही है । यह अनुशासन है जो किसी व्यक्ति को नैतिक सामाजिक और वैयक्तिक दृष्टि से अन्य व्यक्तियों से श्रेष्ट बना देता है ।
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आशा करता हूं यह उत्तर आपकी मदद करेगा