Hindi, asked by voraashvi03, 1 day ago

vigyan ke labh aur hani short essay ​

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Answered by aozemalviya3
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विज्ञान का अर्थ है विशेष ज्ञान। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के लिए जो नए-नए आविष्कार किए हैं, वे सब विज्ञान की ही देन हैं। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के अनगिनत आविष्कारों के कारण मनुष्य का जीवन पहले से अधिक आरामदायक हो गया है।

मोबाइल, इंटरनेट, ईमेल्स, मोबाइल पर 3जी और इंटरनेट के माध्यम से फेसबुक, ट्‍विटर ने तो वाकई मनुष्य की जिंदगी को बदलकर ही रख दिया है। जितनी जल्दी वह सोच सकता है लगभग उतनी ही देर में जिस व्यक्ति को चाहे मैसेज भेज सकता है, उससे बातें कर सकता है। चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।

यातायात के साधनों से आज यात्रा करना अधिक सुविधाजनक हो गया है। आज महीनों की यात्रा दिनों में तथा दिनों की यात्रा चंद घंटों में पूरी हो जाती है। इतने द्रुतगति की ट्रेनें, हवाई जहाज यातायात के रूप में काम में लाए जा रहे हैं। दिन-ब-दिन इनकी गति और उपलब्धता में और सुधार हो रहा है।

चिकित्सा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने हमारे लिए बहुत सुविधाएं जुटाई हैं। आज कई असाध्य बीमारियों का इलाज मामूली गोलियों से हो जाता है। कैंसर और एड्‍स जैसे बीमारियों के लिए डॉक्टर्स और चिकित्स ा विशेषज्ञ लगातार प्रयासरत हैं। नई-नई कोशिकाओं के निर्माण में भी सफलता प्राप्त कर ली गई है।

सिक्के के दो पहलुओं की ही भांति इन आविष्कारों के लाभ-हानि दोनों हैं। एक ओर परमाणु ऊर्जा जहां बिजली उत्पन्न करने के काम में लाई जा सकती है। वहीं इससे बनने वाले परमाणु हथियार मानव के लिए अत्यंत विनाशकारी हैं। हाल ही में जापान में आए भूकंप के बाद वहां के परमाणु रिएक्टर्स को क्षति बहुत बड़ी त्रासदी रही।

अत: मनुष्य को अपनी आवश्यकता और सुविधानुसार मानवता की भलाई के लिए इनका लाभ उठाना चाहिए न कि दुरुपयोग कर इनके अविष्कारों पर प्रश्नचिह्न लगाना चाहिए।

Answered by jitender1708jk
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हमारी दुनिया हर पल बदल रही है। हमारे जीवन की गति भी उसके साथ बदलती जा रही है इस परिवर्तन का कारण है विज्ञान ।

आधुनिक सभ्यता विज्ञान के ही रचना है । विज्ञान ने मनुष्य को चंद्र लोक की सैर करा दी है।असाध्य रोगों का इलाज संभव करा दिया है।

आज मनुष्य कुछ क्षणों में ही सारी पृथ्वी की परिक्रमा कर सकता है। दूर-दूर की घटनाएं और दृश्यों को अपने सामने घटित होते देख सकता है। मोबाइल ,इंटरनेट ,दूरदर्शन, जेट, प्लेन और ना जाने कितने ऐसे आविष्कार हैं जिन्होंने मनुष्य के जीवन को सुख सुविधाओं से बतिया है । आज मानव जाति को समृद्ध बनाने वाली समस्त विभूतियां विज्ञान की देन है।

लेकिन जब हमें हिरोशिमा और नागासाकी की याद आती है तो दिल दहल जाता है। युद्ध में प्रयुक्त अनेकानेक अंतर्गत विनाशकारी यंत्र विज्ञान की ही देन है। हाइड्रोजन बम और उनसे में विनाशकारी वस्तुओं का अविष्कार हुआ है। एक मूर्ख शासक या अधिकारी एक क्षण में पूरे विश्व का विनाश कर सकता है। भविष्य के विनाश की कल्पना करके हम विज्ञान को कोसते रहते हैं लेकिन यह अमंगल रूप विज्ञान का नहीं है ।

बात यह है कि विज्ञान के द्वारा मनुष्य के बाहरी सभ्यता का विकास हुआ है। उसकी अंतरिक्ष सभ्यता अर्थात संस्कृति वैसे विकसित नहीं हुई है। वास्तव में विकास के स्थान पर आज संस्कृति का संकुचन ही हुआ है। विज्ञान ने ही कई पुराने आदर्शों और मूल्यों से लोगों का विनाश उठा दिया है किंतु वह नए मूल्यों की स्थापना नहीं कर पाया है। इन सब का समाधान संस्कृति के विकास से ही हो सकता है लेकिन इस बात में हमें विज्ञान से सहारा नहीं मिलता ।

उसके लिए हमें साहित्य, धर्मशास्त्र इत्यादि का सहारा लेना होगा ।

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