What is a vachya? Also provide examples on all its types.
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वाच्य
वाच्य को समझने के लिए आपको यह समझना होगा की वाच्य क्या होता है। वाच्य हम किसे कहते हैं यह ध्यान रखिए जब हम किसी वाक्य में कर्ता(करने वाला व्यक्ति), कर्म (जो कार्य किया जा रहा हो) या भाव (क्रोध, प्रेम, दुख, सुख, हिंसा इत्यादि) का उल्लेख करते हैं तो उनके अनुसार ही क्रिया के लिंग, पुरुष और वचन को निधारित करते हैं वह वाच्य कहलाता है। वाच्य को तीन भागों में विभाजित किया जाता है- 1. कर्तृवाच्य, 2. कर्मवाच्य तथा 3. भाववाच्य
इन तीनों नामों को ध्यान से पढ़ो यह तीनों नाम स्वयं ही अपनी विशेषता बताते हैं देखो कैसे-
1. कर्तृवाच्य- इस वाच्य में कर्ता पर जोर दिया जाता है तभी इसे कर्ता+वाच्य कहा जाता है। इस वाच्य में क्रिया का लिंग, वचन व पुरुष कर्ता के लिंग, वचन व पुरुष पर आधारित होता है; जैसे-
मीना कपड़े को काटती है।
मीना(कर्ता) स्त्रीलिंग व एकवचन है। अत: क्रिया (काटती है) भीस्त्रीलिंग व एकवचन है।
2. कर्मवाच्य- इस वाच्य में कर्म में कर्म पर जोर दिया जाता है तभी इस कर्म+वाच्य कहा जाता है। इस वाच्य में कर्म पर जोर दिए जाने के कारण क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष का निर्धारण कर्म के लिंग, वचन तथा पुरुष पर आधारित होता है जैसे-
कपड़ा मीना के द्वारा काटा जाता है।
कपड़ा (कर्म) एकवचन व पुल्लिंग है। अत: क्रिया (काटा जाता है) भीपुल्लिंग व एकवचन है।
3. भाववाच्य- इस वाच्य में क्रिया हमेशा पुल्लिंग व एकवचन रूप में रहती है व यह याद रखें की वह अकर्मक होती है। जैसे-
मीना से काटा नहीं जाता।
इस वाक्य में क्रिया ही भाव है की मीना को काटने में परेशानी महसूस हो रही है। और क्रिया (काटा नहीं जाता) एकवचन व पुल्लिंग है।
वाच्य को समझने के लिए आपको यह समझना होगा की वाच्य क्या होता है। वाच्य हम किसे कहते हैं यह ध्यान रखिए जब हम किसी वाक्य में कर्ता(करने वाला व्यक्ति), कर्म (जो कार्य किया जा रहा हो) या भाव (क्रोध, प्रेम, दुख, सुख, हिंसा इत्यादि) का उल्लेख करते हैं तो उनके अनुसार ही क्रिया के लिंग, पुरुष और वचन को निधारित करते हैं वह वाच्य कहलाता है। वाच्य को तीन भागों में विभाजित किया जाता है- 1. कर्तृवाच्य, 2. कर्मवाच्य तथा 3. भाववाच्य
इन तीनों नामों को ध्यान से पढ़ो यह तीनों नाम स्वयं ही अपनी विशेषता बताते हैं देखो कैसे-
1. कर्तृवाच्य- इस वाच्य में कर्ता पर जोर दिया जाता है तभी इसे कर्ता+वाच्य कहा जाता है। इस वाच्य में क्रिया का लिंग, वचन व पुरुष कर्ता के लिंग, वचन व पुरुष पर आधारित होता है; जैसे-
मीना कपड़े को काटती है।
मीना(कर्ता) स्त्रीलिंग व एकवचन है। अत: क्रिया (काटती है) भीस्त्रीलिंग व एकवचन है।
2. कर्मवाच्य- इस वाच्य में कर्म में कर्म पर जोर दिया जाता है तभी इस कर्म+वाच्य कहा जाता है। इस वाच्य में कर्म पर जोर दिए जाने के कारण क्रिया के लिंग, वचन तथा पुरुष का निर्धारण कर्म के लिंग, वचन तथा पुरुष पर आधारित होता है जैसे-
कपड़ा मीना के द्वारा काटा जाता है।
कपड़ा (कर्म) एकवचन व पुल्लिंग है। अत: क्रिया (काटा जाता है) भीपुल्लिंग व एकवचन है।
3. भाववाच्य- इस वाच्य में क्रिया हमेशा पुल्लिंग व एकवचन रूप में रहती है व यह याद रखें की वह अकर्मक होती है। जैसे-
मीना से काटा नहीं जाता।
इस वाक्य में क्रिया ही भाव है की मीना को काटने में परेशानी महसूस हो रही है। और क्रिया (काटा नहीं जाता) एकवचन व पुल्लिंग है।
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easy ans dijiye plzz
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