Whole summary of satpura ke ghane jungle
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सतपुड़ा के घने जंगल
नींद में डूबे हुए से,
उंघते अनमने जंगल।
यहां जंगल निर्जीव न रहकर सजीव, सप्राण जीवन का प्रतिरूप बन गया है। जंगल के विभिन्न अवयव जीवन और जगत की विभिन्न सिथतियों को प्रतिबिंबित करते हैं। उन जंगलों के एक अजीब सी गहन निस्तब्धता है, न तो वहां पत्तियों की सरसराहट होती है और ने ही पक्षियों का कलरव सुनाई देता है । सब कुछ अलसाया सा, अनमना सा है ।पत्थरों का रास्ता काटती पतली लताएं जगह जगह हमें रोकने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. पेड़ कहीं आसमान का छूते हुए दिखाई देते हैं तो कभी आड़े तिरछे बेतरतीबी से फैल कर पगडंडियों के बिलकुल करीब आ बैठते हैं.।
सांप जैसी वृक्षों की लताएं मुसाफिरों के पाँव पकड़कर उन्हें जकड़ने के लिए तैयार रहती हैं । मकड़ियों, मच्छरों और अजगरों, शेरों और बाघों वाले जंगल कभी गरजते और कभी दहाड़ते प्रतीत होते हैं.। जंगल क़े आसपास विभिन्न गोंड मुर्गे और तीतर पालकर आराम इ बैठते हैं और जब होली पास आती है तो वह ढोल बजाकर गीत गाते हैं ।इन जंगलों से अनेकों नदी, निर्झर और नाले बहते हैं और पंछी, फूल, फलियां, कलियाँ और हरी घास इनकी शोभा बढ़ाती हैं.।
नींद में डूबे हुए से,
उंघते अनमने जंगल।
यहां जंगल निर्जीव न रहकर सजीव, सप्राण जीवन का प्रतिरूप बन गया है। जंगल के विभिन्न अवयव जीवन और जगत की विभिन्न सिथतियों को प्रतिबिंबित करते हैं। उन जंगलों के एक अजीब सी गहन निस्तब्धता है, न तो वहां पत्तियों की सरसराहट होती है और ने ही पक्षियों का कलरव सुनाई देता है । सब कुछ अलसाया सा, अनमना सा है ।पत्थरों का रास्ता काटती पतली लताएं जगह जगह हमें रोकने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. पेड़ कहीं आसमान का छूते हुए दिखाई देते हैं तो कभी आड़े तिरछे बेतरतीबी से फैल कर पगडंडियों के बिलकुल करीब आ बैठते हैं.।
सांप जैसी वृक्षों की लताएं मुसाफिरों के पाँव पकड़कर उन्हें जकड़ने के लिए तैयार रहती हैं । मकड़ियों, मच्छरों और अजगरों, शेरों और बाघों वाले जंगल कभी गरजते और कभी दहाड़ते प्रतीत होते हैं.। जंगल क़े आसपास विभिन्न गोंड मुर्गे और तीतर पालकर आराम इ बैठते हैं और जब होली पास आती है तो वह ढोल बजाकर गीत गाते हैं ।इन जंगलों से अनेकों नदी, निर्झर और नाले बहते हैं और पंछी, फूल, फलियां, कलियाँ और हरी घास इनकी शोभा बढ़ाती हैं.।
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Satpuda ke ghane jangal.
Neend mein doobe hue se,
oonghte anmane jangal.
Jhaad oonche aur neeche,
chup khade hain aankh meenche.
Ghaas chup hai, kaas chup hai
mook shaal, palaash chup hai.
Ban sake to dhanso inmein,
dhans na paati hawa jinmein,
Satpuda ke ghane jangal,
oonghte anmane jangal
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