Hindi, asked by AishaCutegirl, 8 months ago

Write about Ashok Stanbh in Hindi.​

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Answered by Anonymous
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सम्राट अशोक मौर्य वंश का तीसरे शासक थे और प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। उसने 273 ई.पू. से 232 ई.पू. भारत में शासन किया। अशोक के साम्राज्य में अधिकांश भारत, दक्षिण एशिया और उससे आगे, अब का अफगानिस्तान और पश्चिम में फारस के कुछ हिस्सों, पूर्व में बंगाल और असम और दक्षिण में मैसूर शामिल हुआ था। बौद्ध साहित्य में अशोक एक क्रूर और निर्दयी सम्राट बताया गया है। लेकिन कलिंग के युद्ध के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण किया और धर्म के सिद्धांतों के प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अशोक ने देश के विभिन्न भागों में कई स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया। इनमें से एक स्तंभ जो सारनाथ में स्थित है, को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रुप में अपनाया गया है। अशोक के धार्मिक प्रचार से कला को बहुत ही प्रोत्साहन मिला। अपने धर्मलेखों के अंकन के लिए उसने ब्राह्मी और खरोष्ठी दो लिपियों का उपयोग किया और संपूर्ण देश में व्यापक रूप से लेखनकला का प्रचार हुआ। धार्मिक स्थापत्य और मूर्तिकला का अभूतपर्वू विकास अशोक के समय में हुआ। परंपरा के अनुसार उसने तीन वर्ष के अंतर्गत 84,000 स्तूपों का निर्माण कराया। इनमें से ऋषिपत्तन (सारनाथ) में उसके द्वारा निर्मित धर्मराजिका स्तूप का भग्नावशेष अब भी द्रष्टव्य हैं। इसी प्रकार उसने अगणित चैत्यों और विहारों का निर्माण कराया। अशोक ने देश के विभन्न भागों में प्रमुख राजपथों और मार्गों पर धर्मस्तंभ स्थापित किए। अपनी मूर्तिकला के कारण ये स्तंभ सबसे अधिक प्रसिद्ध है। स्तंभनिर्माण की कला पुष्ट नियोजन, सूक्ष्म अनुपात, संतुलित कल्पना, निश्चित उद्देश्य की सफलता, सौंदर्यशास्त्रीय उच्चता तथा धार्मिक प्रतीकत्व के लिए अशोक के समय अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी। इन स्तंभों का उपयोग स्थापत्यात्मक न होकर स्मारकात्मक था।

Answered by Shubhgyanji
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Answer: शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतीक अशोक स्तम्भ

Explanation:

सम्राट अशोक ने 84000 स्तंभों का निर्माण करवाया था, और उन सभी निर्माण का उद्देश्य  बौद्ध धर्म के ग्रंथो और उनके सिद्धांतों का प्रसार प्रचार करना और लोंगों को बौद्ध के बारे मे जागरूक करना।

अशोक स्तम्भ : भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है

इसके शीर्ष भाग में चार सिंह जिन्हे सिंहचतुर्मुख कहा जाता है, पाली ग्रंथ के अनुसार सिंह को बौद्ध धर्म का पर्याय माना गया है जिस कारण गौतम बुद्ध द्वारा उपदेशित धम्माकक्कप्पवत्ताना ( Dhammacakkappavattana ) को सिंह की गर्जन माना गया है इस कारण से ही सम्राट अशोक ने अपने अशोक स्तम्भ मे सिंह का निर्माण किया है।

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