History, asked by laksh4912, 5 hours ago

युरोपा धर्म युध्द अपयशी कारणे

Answers

Answered by ramroopbharati
0

यूरोपीय धर्मसुधार अथवा रिफॉरमेशन, 16वीं शताब्दी के प्रारंभ में समस्त पश्चिमी यूरोप धार्मिक दृष्टि से एक था - सभी ईसाई थे; सभी रोमन काथलिक कलीसिया (चर्च) के सदस्य थे; उसकी परंपरगत शिक्षा मानते थे और धार्मिक मामलों में उसके अध्यक्ष अर्थात् रोम के पोप का शासन स्वीकार करते थे। यह 16वीं शताब्दी के उस महान आंदोलन को कहते हैं जिसके फलस्वरूप पाश्चात्य ईसाइयों की यह एकता छिन्न-भिन्न हुई और प्रोटेस्टैंट धर्म का उदय हुआ। ईसाई कलीसिया के इतिहस में समय-समय पर सुधारवादी आंदोलन होते रहे किंतु वे कलीसिया के धार्मिक सिद्धातों अथवा उसके शासकों को चुनौती न देकर उनके निर्देश के अनुसार ही नैतिक बुराइयों का उन्मूलन तथा धार्मिक शिक्षा का प्रचार अपना उद्देश्य मानते थे। 16वीं शताब्दी में जो सुधार का आंदोलन प्रवर्तित हुआ वह शीघ्र ही कलीसिया की परंपरागत शिक्षा और उसके शासकों के अधिकार, दोनों का विरोध करने लगा।

PLEASE MARK BRANLIEST AND LIKE THE ANSWER

Similar questions