Hindi, asked by abidkatalur7733, 1 year ago

yadi pareechha na hhota 100 wword nimbandh

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Answered by harshini1234
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यदि परीक्षा न होती तो


आजकल अगर बच्चों से कहा जाएं कि स्कूल में  परीक्षा नहीं होगी तो यह सुनकर सब कितने खुश हो जाएंगे। लेकिन क्या यह सही में बच्चों के लिए लाभकारी है? इस बारे में गहराई से सोचा जाए तो इसका जवाब है नहीं।


आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान के मूल्यांकन का आधार है लिखित परीक्षा। परीक्षा में सफलता विद्यार्थियों के मनोबल को ऊँचा उठाने में सहायता प्रदान करती है। परीक्षा का भय होना एक दृष्टि से लाभप्रद ही होता है। यदि परीक्षा का भय न होता तो बच्चे कदापि नहीं पढ़ते। यह भय ही अनेक विद्यार्थियों का संपर्क पुस्तकों से जोड़ता है। यदि परीक्षा का भय ही तो है जो उन्हें कुसंगति, मौज-मस्ती आदि चीजों से दूर रखता है। बच्चे परीक्षा के भय से सजग होकर अपना ध्यान पढ़ने-लिखने पर केंद्रित करते हैं। यदि परीक्षाएं न होतीं तो उन्हें उनकी योग्यता का पता कैसे चलता !


हर एक क्षेत्र में परीक्षा का होना आवश्यक है। ऐसा करने से कार्य को सही हाथों में सौंपा जा सकता है। परीक्षा मनुष्य की योग्यता की पहचानने का सही साधन है।



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