yadi suraj na hota nibandha likhia
tanmaib9952:
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सूरज पूरे सौर मण्डल के केन्द्र में स्थित एक तारा है। वैसे तो कई अन्य तारों का अपना प्रकाश भी होता है लेकिन सौरमण्डल के कुछ तारे ऐसे हैं जो सूरज के प्रकाश से चमकते हैं। यह आकाश गंगा के 100 अरब से अधिक तारों में से एक तारा ही है। सूरज एक आग का गोला है। जो बिलकुल भी ठोस नहीं है। यह पूर्ण रूप से गैसों का बना हुआ है। सूरज की उम्र लगभग 9 बिलियन वर्ष मानी गई है। सूरज धरती से तो फुटबॉल जैसा दिखता है। लेकिन इसका व्यास 13 लाख 92 हजार किलोमीटर है। सूरज धरती से लगभग 110 गुणा ज्यादा बड़ा है। पृथ्वी से 150 मिलीयन किलोमीटर दूरी पर स्थित होने के बावजूद भी यह हमें इतनी रौशनी व ताप प्रदान करता है। सूरज का प्रकाश सूरज से धरती पर आने के लिए 8 मिनट 17 सैकेण्ड लेता है।
यदि सूरज का प्रकाश एक दिन भी धरती को न मिले तो यह धरती कुछ ही घण्टों में उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव का रूप ले लेगी। सूरज 74 प्रतिशत हाईड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम से बना है। बाकी के 2 प्रतिशत ऑक्सीजन, नीयोन, हीलियम तथा लोहे से बने हैं। सूरज का बाहरी सतह का तापमन 5500 डिग्री सेलसीयस है जबकि अंदरूनी भाग का तापमान 1 करोड़ 31 लाख डिग्री सेलसीयस है।
संसार में प्राकृतिक प्रकाश का कारण सूरज ही है। यदि सूरज न होता तो चारों ओर हर समय अंधकार ही छाया रहता। दिन और रात भी न होते। चाँद की चाँदनी भी सूरज के कारण ही है। यदि सूरज न हो तो इन सबकी कल्पना करना असम्भव है। सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह जुपीटर भी सूरज के आगे बहुत छोटा मालूम होता है। सौर मण्डल के सभी ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं।
मनुष्य तथा अन्य जीव-जन्तुओं का जीवन पेड़ों के बिना असम्भव है और पेड़ों का सूरज के बिना। अतः धरती पर जीवन का मुख्य आधार सूरज ही है। पेड़-पौधे सूरज की ऊर्जा का उपयोग अपना खाना बनाने में करते हैं। पेड़ों द्वारा ही मनुष्य को ऑक्सीजन प्राप्त होती है। जिस कारण हम साँस ले पाते हैं। सूरज की गर्मी से समुद्र, सरोवर, झील आदि का पानी वाष्प बनकर वायुमण्डल में बादल के रूप में जमा होता है और यह बादल हमें वर्षा प्रदान करते हैं। यदि सूरज ही न हो तो यह चक्र ही न चले और पानी के बिना यह धरती निर्जर ग्रह बनकर रह जाये। आजकल प्रकृति द्वारा प्रदान की गई इस गर्मी का उपयोग सौर ऊर्जा बनाने के रूप् में भी किया जाता है। कई स्थान जहाँ पर सूरज की अच्छी धूप रहती है वहाँ पर सौर ऊर्जा का प्रयोग बिजली लाई जाती है। पानी गर्म करने के लिए गीज़र, खाने बनाने के लिए सोलर कुकर आदि का प्रयोग कर सूरज की गर्मी का उपयोग किया जा रहा है। जमीनी वाहनों से लेकर छोटे विमान तक अब सौर ऊर्जा से चलाये जा रहे हैं। यदि इसी प्रकार सौर ऊर्जा का प्रयोग किया गया तो प्रकृति का पर्यावरण संतुलन भी संतुलित हो सकता है।
यदि सूरज का प्रकाश एक दिन भी धरती को न मिले तो यह धरती कुछ ही घण्टों में उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव का रूप ले लेगी। सूरज 74 प्रतिशत हाईड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम से बना है। बाकी के 2 प्रतिशत ऑक्सीजन, नीयोन, हीलियम तथा लोहे से बने हैं। सूरज का बाहरी सतह का तापमन 5500 डिग्री सेलसीयस है जबकि अंदरूनी भाग का तापमान 1 करोड़ 31 लाख डिग्री सेलसीयस है।
संसार में प्राकृतिक प्रकाश का कारण सूरज ही है। यदि सूरज न होता तो चारों ओर हर समय अंधकार ही छाया रहता। दिन और रात भी न होते। चाँद की चाँदनी भी सूरज के कारण ही है। यदि सूरज न हो तो इन सबकी कल्पना करना असम्भव है। सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह जुपीटर भी सूरज के आगे बहुत छोटा मालूम होता है। सौर मण्डल के सभी ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं।
मनुष्य तथा अन्य जीव-जन्तुओं का जीवन पेड़ों के बिना असम्भव है और पेड़ों का सूरज के बिना। अतः धरती पर जीवन का मुख्य आधार सूरज ही है। पेड़-पौधे सूरज की ऊर्जा का उपयोग अपना खाना बनाने में करते हैं। पेड़ों द्वारा ही मनुष्य को ऑक्सीजन प्राप्त होती है। जिस कारण हम साँस ले पाते हैं। सूरज की गर्मी से समुद्र, सरोवर, झील आदि का पानी वाष्प बनकर वायुमण्डल में बादल के रूप में जमा होता है और यह बादल हमें वर्षा प्रदान करते हैं। यदि सूरज ही न हो तो यह चक्र ही न चले और पानी के बिना यह धरती निर्जर ग्रह बनकर रह जाये। आजकल प्रकृति द्वारा प्रदान की गई इस गर्मी का उपयोग सौर ऊर्जा बनाने के रूप् में भी किया जाता है। कई स्थान जहाँ पर सूरज की अच्छी धूप रहती है वहाँ पर सौर ऊर्जा का प्रयोग बिजली लाई जाती है। पानी गर्म करने के लिए गीज़र, खाने बनाने के लिए सोलर कुकर आदि का प्रयोग कर सूरज की गर्मी का उपयोग किया जा रहा है। जमीनी वाहनों से लेकर छोटे विमान तक अब सौर ऊर्जा से चलाये जा रहे हैं। यदि इसी प्रकार सौर ऊर्जा का प्रयोग किया गया तो प्रकृति का पर्यावरण संतुलन भी संतुलित हो सकता है।
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