यह सुनकर शेर सोचता है अब ऐसी कि यह गुफा अपने स्वामी का सदा आह्वान करती हो होगी परंतु अभी यह गुफा मेरे डर से ऐसा नहीं कर रही है अतः यह सही कहा गया है डरे हुए मन वालों की बोलने और हाथ पैर आदि की क्रिया ही नहीं प्रयुक्त होती है और वह अधिक कांपते हैं Sanskrit ma likha
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अथ एतच्छुत्वा सिंहः अचिन्तयत्-"नूनमेषा गुहा स्वामिनः सदा समाह्वानं करोति। परन्तु मद्भयात् न किञ्चित् वदति।"
अथवा साध्विदम् उच्यते
भयसन्त्रस्तमनसां हस्तपादादिकाः क्रिया:।
प्रवर्तन्ते न वाणी च वेपथुश्चाधिको भवेत्।।
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